भीषण गर्मी पर भारी पड़ रही रमजान की ‘अकीदत’ -रोजे में अल्लाह की ओर से बंदों का इम्तेहान, गर्मी की शिद्दत से भी नहीं डगमगा रही आस्था

लियाकत मंसूरी

मेरठ। भीषण गर्मी में चल रहे रमजानुल मुबारक के रोजे अल्लाह की तरफ से उसके बंदों का इम्तेहान है। अक्सर अकीदतमंद इस इम्तेहान को आसानी से पास कर रहे हैं। हालांकि कई तरह की परेशानियां रोजेदारों को हो रही है, बावजूद इसके उनकी आस्था गर्मी की शिद्दत से भी नहीं डगमगा रही। 03 अप्रेल से शुरू हुए रमजानुल मुबारक के नौ रोजे गुजर चुके हैं। इस दरमियान गर्मी अपना भीषण रूप दिखा रही है। इसके बावजूद शहर में अकीदतमंद रोजे रखने से नहीं घबरा रहे। विशेषकर युवा रमजान के रोजे रखकर मुस्लिम समाज को धर्म के प्रति प्रोत्साहित कर रहे हैं। पूरे माह के रोजे लगभग 14 घंटे के हैं। दूसरी ओर गर्मी भयंकर रूप दिखा रही है। सोमवार को अधिकतम पारा जहां 40 डिग्री के पास पहुंच गया, वहीं रात का पारा भी 30 डिग्री के आस-पास चल रहा है। भीषण गर्मी के बीच रोजेदारों की आस्था एक जगह टिकी हुई है। रोजेदार अल्लाह की दरबार में खुशनुमा मौसम की दुआ कर रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगलवार को बादलों वाला मौसम रहेगा, 14 अप्रेल को आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। उसके बाद फिर तीन-चार दिन तक मौसम साफ रहेगा। मस्जिदों में बढ़ रही नमाजियों की संख्या सुबह को पढ़ी जाने वाली फजिर की नमाज में जहां लोगों की संख्या बढ़ी हुई दिखाई देती है, वहीं दोपहर की जुहर की नमाज में लोग भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। असर और मगरिब में भी लोगों की आस्था सिर चढ़कर बोल रही है। ईशा की नमाज में जब तरावीह पढ़ी जाती तो उसमें भी मुसलमान अपनी आस्था का प्रदर्शन कर रहे हैं। गर्मी से रोजेदारों को जहां खुश्की हो रही है, वहीं रक्तचाप में कमी से जिस्म में गिरावट का एहसास हो रहा है। कई रोजेदारों का कहना है कि अल्लाह रोजेदारों के सब्र का इम्तेहान भी लेता है कि कौन इसमें पास होता है, कौन डिगता है। ये कहना है चिकित्सक का आईएमए के पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ चिकित्सक डा. संदीप जैन का कहना है कि शरीर में पानी की कमी और खुश्की से बचने के लिए सहरी में दही का प्रयोग करें, सूखे मेवे व फलों का भी प्रयोग करें। शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए सहरी में खीरा और पानी वाले फलों का सेवन करें।

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