
एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत में एंट्री करने के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर चुकी है। कंपनी ने मुंबई और दिल्ली में शोरूम खोलने के लिए जगह किराए पर लेने और स्टाफ की भर्ती करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लेकिन एक बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है: क्या टेस्ला भारत में अपनी फैक्ट्री लगाएगी? अब इसका जवाब जल्द मिल सकता है, और संभावना है कि कंपनी फैक्टरी न बनाकर दूसरा विकल्प चुन सकती है।
भारत सरकार ने टेस्ला की एंट्री को देखते हुए हाल ही में नई ईवी पॉलिसी पेश की है। इसके तहत विदेशी कंपनियों को 15 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी पर 8,000 तक इलेक्ट्रिक कारों के आयात की अनुमति दी गई है। पहले ईवी के इंपोर्ट पर 110 प्रतिशत तक टैक्स लगता था। हालांकि, इसमें एक शर्त है कि कंपनी को भारत में अपनी एंट्री के तीन साल के अंदर फैक्टरी लगानी होगी और 50 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा। इसके अलावा, कंपनी असेंबली लाइन भी स्थापित कर सकती है।
टेस्ला इस बार एक नया विकल्प अपना सकती है, जो है कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग। यह वैसा ही होगा जैसा एप्पल अपने प्रोडक्ट्स के लिए ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन और टाटा ग्रुप के साथ डील करके करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्ला ने इस संबंध में एक जापानी कार कंपनी और एक भारतीय कार निर्माता कंपनी से बातचीत शुरू की है, ताकि इन कंपनियों की अतिरिक्त प्रोडक्शन क्षमता का इस्तेमाल अपने प्रोडक्शन के लिए किया जा सके।
टेस्ला भारत में काम कर रही उन कंपनियों की तरफ भी देख रही है जो अपनी फैक्ट्रियों में फुल कैपेसिटी से कम प्रोडक्शन कर रही हैं, ताकि कॉन्ट्रैक्चुअल मैन्यूफैक्चरिंग पार्टनरशिप पर बातचीत की जा सके। हालांकि, ये बातचीत अभी शुरुआती दौर में हैं और दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बाद ही कोई अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
इस वक्त टेस्ला की फैक्टरी अमेरिका, जर्मनी और चीन में हैं, जिन्हें गीगाफैक्टरी कहा जाता है। इनकी कुल क्षमता सालाना 25 से 30 लाख गाड़ियां प्रोड्यूस करने की है। टेस्ला शुरुआत में जर्मनी में बनी गाड़ियां भारत में आयात कर सकती है।