जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी उन्नत संचार उपकरणों का कर रहे इस्तेमाल, सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती

जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तानी सेना के उन्नत संचार उपकरणों से लैस किया गया है, जिसमें ऑफ़लाइन संस्करण में संशोधित अल्पाइन क्वेस्ट ऐप भी शामिल है ताकि उनका पता न चल सके। इसके अलावा आतंकवादी पाकिस्तान में स्थित सर्वरों के साथ एन्क्रिप्टेड अल्ट्रा-रेडियो संचार उपकरणों का भी उपयोग कर रहे हैं।

शुक्रवार को एक अधिकारी ने बताया कि अल्पाइन क्वेस्ट ऐप, जिसे मूलरूप से ट्रेकर्स के लिए नेविगेशन टूल के रूप में डिज़ाइन किया गया था, को सुरक्षाबलों, चौकियों और गश्ती मार्गों के बारे में महत्वपूर्ण डेटा शामिल करने के लिए बदल दिया गया है जिससे ओवरग्राउंड वर्कर्स पर निर्भर हुए बिना अब आतंकवादी अब काम कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पुलिस आतंकवादियों और उनके लिए काम करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर के लिए कड़ी कार्रवाई कर उनकी संपत्ति कुर्क कर रही है। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करने के कारण आतंकियों को उनके सहयोगियों से समर्थन मिलना कम हो रहा है, जिससे आतंकवादी अधिक गुप्त तरीके अपनाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि अल्पाइन क्वेस्ट ऐप उन्हें जम्मू-कश्मीर के बीहड़, पहाड़ी इलाकों में नेविगेट करने में आसानी हो रही है।मुख्य रूप से दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां उनके सहयोगी कम भरोसेमंद और कम पहुंच वाले हैं।

दरअसल, यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर के उग्रवाद अभियानों में इस तरह के ऐप का उपयोग देखा गया है। आतंकियों के सहयोगियों (ओजीडब्ल्यू) पर बढ़ती कार्रवाई के साथ ही आतंकवादी अधिक आत्मनिर्भर हो गए हैं, वे नेविगेशन के लिए ऐप पर निर्भर हैं और जब भी संभव हो ओजीडब्ल्यू से बचते हैं। कुछ मामलों में आतंकवादियों ने ओजीडब्ल्यू का उपयोग केवल रसद सहायता के लिए किया है जैसे कि भोजन पहुंचाना जबकि यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके सटीक स्थान का पता न चले, वे दूरी बनाए रखते हैं।

आतंकवादी पाकिस्तान में स्थित सर्वरों के साथ एन्क्रिप्टेड अल्ट्रा-रेडियो संचार उपकरणों का भी उपयोग कर रहे हैं। इन उपकरणों को सुरक्षित संचार सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिससे सुरक्षाबलों के लिए वास्तविक समय में उनके संदेशों को रोकना या डिकोड करना कठिन हो जाता है। इस तरह की तकनीक का उपयोग क्षेत्र में सक्रिय आतंकी नेटवर्क को ट्रैक करने और बेअसर करने के प्रयासों को और जटिल बनाता है। पिछले साल जम्मू के कई जिलों में आतंकवादियों को सक्रिय देखा गया था जिसमें कठुआ, उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा, रियासी, पुंछ और राजौरी के साथ-साथ कश्मीर घाटी के कुछ हिस्से शामिल थे। उनकी गतिविधियों में सुरक्षाबलों, ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) और शिव खोडी तीर्थस्थल की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों पर हमले शामिल हैं।

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