
What is Territorial Army in Hindi: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. अब से भारतीय सेना प्रमुख को यह अधिकार दे दिया गया है कि वह जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) को बिना किसी अतिरिक्त मंजूरी के तैनात कर सकते हैं. सरकार ने प्रमुख सैन्य क्षेत्रों में 32 मौजूदा बटालियनों में से 14 को तैनात करने का निर्णय लिया है. यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत सीमा पर सैन्य तैयारियों को और मजबूती देने की दिशा में सक्रिय हो चुका है. सरकार ने टेरिटोरियल आर्मी के जिन 14 बटालियों को तैनात करने का फैसला किया है. उनमें दक्षिण, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी और दक्षिण पश्चिमी कमान के साथ-साथ अंडमान और निकोबार कमान और सेना प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) शामिल हैं.
पहले, टेरिटोरियल आर्मी की तैनाती के लिए सेना प्रमुख को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. यह प्रक्रिया समय लेने वाली थी और आपात स्थिति में देरी हो सकती थी. अब केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को यह प्रत्यक्ष अधिकार दे दिया है कि वह टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट्स को तैनात कर सकें- खासकर उन राज्यों और इलाकों में जहां सुरक्षा को लेकर खतरा बना हुआ है.
क्यों अहम है यह फैसला ?
भारत-पाकिस्तान के बीच हाल में बढ़े तनाव (जैसे ड्रोन और मिसाइल हमले) को देखते हुए यह फैसला समय की मांग था. इससे सेना को फुर्ती से रिज़र्व फोर्स तैनात करने की ताकत मिल गई है. ऑपरेशन सिंदूर जैसे जवाबी मिशन और बॉर्डर सिक्योरिटी में टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी?
- टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की एक रिज़र्व फोर्स है. इसमें वो नागरिक शामिल होते हैं जो सामान्य जीवन जीते हैं, लेकिन अपनी रोज़मर्रा की नौकरियों या व्यवसाय से समय निकालकर ट्रेनिंग करते हैं और जरूरत पड़ने पर देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं.
- ये ‘पार्ट-टाइम सोल्ज़र्स’ होते हैं, जिन्हें युद्ध या आपातकाल की स्थिति में सेना के साथ तैनात किया जा सकता है.
- यह फोर्स सैन्य, मेडिकल, इंजीनियरिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मदद करती है.
- टेरिटोरियल आर्मी को प्रादेशिक सेना भी कहा जाता है.
- हर साल 9 अक्टूबर को ‘टेरिटोरियल आर्मी डे’ मनाया जाता है.
सरकार का यह कदम भारत की मजबूत और लचीली सैन्य रणनीति को दर्शाता है. अब सेना के पास सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि तत्काल निर्णय और तैनाती की भी पूरी ताकत है. टेरिटोरियल आर्मी, जो अब तक परदे के पीछे थी, अब आने वाले दिनों में सीमा पर भारत की एक अहम ताकत बनकर उभरेगी.
किन लोगों के लिए है यह बल?
टेरिटोरियल आर्मी उन लोगों के लिए है जो पहले से किसी नागरिक पेशे (जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी आदि) में काम कर रहे हैं, लेकिन देश की सेवा के लिए तैयार हैं. ये लोग समय-समय पर सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं या किसी अन्य आपात स्थिति में तैनात किए जा सकते हैं.
सेवा और प्रशिक्षण
- टेरिटोरियल आर्मी आंशिक समय (पार्ट-टाइम) में कार्य करती है.
- हर साल दो महीने की सैन्य ट्रेनिंग अनिवार्य होती है.
- किसी आपात स्थिति में इन्हें पूर्णकालिक सेवा के लिए भी बुलाया जा सकता है.
- जब इन्हें सक्रिय ड्यूटी या प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाता है, तब इन्हें नियमित सेना के अधिकारियों के समान वेतन, भत्ते और सुविधाएं दी जाती हैं.
पदोन्नति (प्रमोशन)
लेफ्टिनेंट कर्नल तक की पदोन्नति सेवा की अवधि और निश्चित मापदंडों के आधार पर होती है. कर्नल और ब्रिगेडियर जैसे उच्च पद चयन प्रक्रिया के माध्यम से दिए जाते हैं.
टेरिटोरियल आर्मी की वर्तमान संरचना
टेरिटोरियल आर्मी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस समय इसमें लगभग 50,000 सदस्य कार्यरत हैं, जो 65 यूनिट्स में विभाजित हैं. इनमें दो प्रकार की यूनिट्स होती हैं:
- विभागीय यूनिट्स (Departmental)- जैसे रेलवे, ONGC, इंडियन ऑयल आदि से जुड़ी इकाइयां.
- गैर-विभागीय यूनिट्स (Non-Departmental) – जैसे इन्फैंट्री बटालियन, ईकोलॉजिकल टास्क फोर्स और इंजीनियरिंग यूनिट्स।
टेरिटोरियल आर्मी का इतिहास
टेरिटोरियल आर्मी की नींव 1920 में ‘इंडियन टेरिटोरियल फोर्स’ के रूप में रखी गई थी, लेकिन इसकी जड़ें 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई हैं. 1948 में टेरिटोरियल आर्मी एक्ट पास हुआ और 1949 में इसकी औपचारिक शुरुआत भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी द्वारा की गई.
टेरिटोरियल आर्मी के महत्वपूर्ण योगदान
- 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में हिस्सा.
- श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’.
- पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्वी राज्यों में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन.
- भूकंप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत और पुनर्वास कार्य.
प्रादेशिक सेना में शामिल लोकप्रिय हस्तियां:
- महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni): भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को 2011 में प्रादेशिक सेना की पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक दी गई. उन्होंने असली सैन्य प्रशिक्षण भी लिया और जम्मू-कश्मीर में सेना के साथ सेवा की.
- कपिल देव: 1983 में भारत को विश्व कप जिताने वाले दिग्गज क्रिकेटर को 2008 में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक दी गई.
- मोहनलाल (दक्षिण भारतीय सुपरस्टार): मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार को 2009 में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित किया गया.
- सचिन पायलट: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रादेशिक सेना में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे और परीक्षा देकर भर्ती हुए. उन्हें यह रैंक मेरिट के आधार पर मिली थी, न कि मानद रैंक के रूप में.
- अनुराग ठाकुर: बीजेपी नेता परीक्षा देकर 2016 में प्रादेशिक सेना में शामिल हुए और लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए.
महत्वपूर्ण बात
प्रादेशिक सेना में दो तरह से लोग शामिल होते हैं:
- मानद रैंक (Honorary)- प्रसिद्ध लोगों को उनके योगदान या प्रेरणादायक छवि के लिए दी जाती है।
- मूल्यांकन के आधार पर भर्ती- इच्छुक नागरिक परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद नियमित पदों पर नियुक्त होते हैं