पाकिस्तान से तनाव : जंग से पहले कैसी होती है रणनीति? मॉक ड्रिल्स से जानें भारत की तैयारी

Air raid siren Mock drills in India: केंद्र सरकार ने 7 मई को देशभर में हवाई हमले की चेतावनी वाले सायरनों की मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. यह कदम हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र उठाया गया है. मॉक ड्रिल का मकसद नागरिकों को आपातकालीन स्थिति में सतर्क रहने और प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करना है.

बता दें कि मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले के खतरे वाले सायरन बजाए जाएंगे. इस दौरान लोगों को बताया जाएगा कि दुश्मन के हमले के समय खुद की सुरक्षा कैसे करें. राज्यों से हमले के दौरान नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की योजना बनाने और उनका अभ्यास करने के लिए कहा गया है, ताकि आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके.

भारत में मॉक ड्रिल्स कब-कब हुईं?

भारत में मॉक ड्रिल्स आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं, आतंकी हमलों, या युद्ध जैसी आपात स्थितियों के लिए की जाती हैं. इनमें नागरिक, सेना, पुलिस, एनडीआरएफ, और अन्य एजेंसियां भाग लेती हैं.

कुछ अहम मॉक ड्रिल घटनाएं:

  • 2009 – मुंबई टेरर अटैक के बाद NSG और मुंबई पुलिस ने बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल्स कीं, ताकि आतंकी हमलों से निपटने की तैयारी हो सके.
  • 2013 – भारत-पाक तनाव के समय राजस्थान में युद्ध अभ्यास किया गया. सेना ने ‘सुदर्शन शक्ति’ और ‘शत्रुजीत’ जैसे अभ्यासों के तहत मॉक वॉर सीन रिहर्सल किए.
  • 2016 – पठानकोट हमले के बाद देशभर के एयरबेस और सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकी हमले से निपटने के लिए सुरक्षा अभ्यास हुए.
  • 2019 – पुलवामा हमले और बालाकोट स्ट्राइक के बाद उत्तर भारत में सायरन ड्रिल्स, सुरक्षा अलर्ट और एयर रेड प्रोटोकॉल एक्टिवेट किए गए.
  • 2020- कोविड-19 के दौरान हेल्थ इमरजेंसी ड्रिल्स हुई. अस्पताल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट्स और सरकारी संस्थानों में महामारी प्रबंधन की मॉक ड्रिल्स हुईं.
  • 2023- गुजरात और महाराष्ट्र में तटीय हमले की आशंका पर भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड ने समुद्री मॉक ड्रिल्स कीं.

युद्ध से पहले भारत की तैयारी कैसे होती है?

  • सुरक्षा बलों की तैनाती और मूवमेंट: सीमावर्ती इलाकों में सेना की संख्या बढ़ाई जाती है. वायुसेना और नौसेना को हाई अलर्ट पर रखा जाता है.
  • इंटेलिजेंस और निगरानी: रॉ, IB, NTRO जैसी एजेंसियां सीमावर्ती गतिविधियों पर नजर रखती हैं. ड्रोन, सेटेलाइट और एयर सर्विलांस से दुश्मन की मूवमेंट ट्रैक होती है.
  • सायरन और अलर्ट सिस्टम: एयर रेड सायरन सिस्टम चेक किए जाते हैं. नागरिकों को शेल्टर, बंकर और सुरक्षित स्थानों की जानकारी दी जाती है.
  • लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: युद्ध के समय जरूरी राशन, ईंधन, दवाइयां और गोला-बारूद की एडवांस प्लानिंग की जाती है.
  • जनता को जागरूक करना: सरकारी रेडियो और टीवी चैनलों पर सूचना अभियान चलाए जाते हैं. सोशल मीडिया और मैन्युअल प्रचार से नागरिकों को सतर्क किया जाता है.

सायरन सुनने पर क्या करें?

  • सायरन सुनने पर घबराएं नहीं. यह केवल एक अभ्यास है.
  • स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें.
  • सामाजिक मीडिया पर अफवाहों से बचें. सत्यापित स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें.

भारत में मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं, बल्कि एक रणनीतिक तैयारी का हिस्सा है, जिससे देश किसी भी आपदा या युद्ध की स्थिति का सामना कर सके. ये अभ्यास सुरक्षा एजेंसियों और नागरिकों दोनों के लिए बेहद जरूरी हैं.

 

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