आरजेडी-कांग्रेस में बढ़ी तनातनी…CM फेस को लेकर सस्पेंस खत्म : तेजस्वी ने किया ये बड़ा ऐलान, सहयोगी दलों में बढ़ी बेचैनी !

Bihar CM Face: बिहार में चुनाव प्रचार के बीच महागठबंधन के दो प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों और चेहरों की राजनीति गर्मा गई है. इस बीच तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया कि वे ही आगामी विधानसभा चुनाव में सीएम पद के चेहरे होंगे. उसके बाद से सहयोगी दल भी असमंजस दिखाई दे रहे हैं. इसके उलट तेजस्वी की बहन रोहिणी के तंज ने सियासी समीकरण को और दिलचस्प बना दिया है.

Tejashwi Yadav Bihar CM Face: बिहार की राजनीति में 30 अगस्त को बड़ा धमाका तब हुआ जब आरा की एैरली में तेजस्वी यादव ने खुद को महागठबंधन का ‘सीएम फेस’ घोषित कर दिया. उनके इस बयान ने महागठबंधन में शामिल विपक्षी दलों में सनसनी मचा दी है. इस पर उनकी बहन रोहिणी आचार्या ने चुटकी लेते हुए कहा कि अभी शादी भी नहीं हुई है, फिर सुहागरात की चर्चा क्यों? अब सवाल यह है कि राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता क्या करेंगे? क्या वो तेजस्वी को सीएम फेस मानेंगे, या फिर अपने फैसले पर अडिग रहते हुए चुनाव परिणाम आने का इंतजार करेंगे.

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी ) के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को आरा में एक रैली के दौरान आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए खुद को भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया. साथ ही सीएम नीतीश कुमार पर उनकी नीतियों की “नकल” (कॉपीकैट) करने का आरोप लगाया. 

तेजस्वी यादव यादव ने यह घोषणा चुनावी राज्य बिहार में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के अंतिम चरण में की है. इससे पहले राहुल गांधी के मंच पर भी तेजस्वी यादव ने संकेत दिया था कि वे बिहार के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

‘लोगों को नकली नहीं, असली CM चाहिए’

आरा की रैली में तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को लेकर कहा, “यह नकलची सरकार है. हमें एक असली मुख्यमंत्री चाहिए, नकल करने वाला नहीं.” उन्होंने भीड़ की ओर मुड़कर पूछा, “क्या यह नकलची सरकार नहीं है? क्या यह मेरी नकल नहीं कर रही है? तेजस्वी आगे हैं. सरकार पीछे है. आपको नकली मुख्यमंत्री चाहिए या असली मुख्यमंत्री?” 

‘बीजेपी तो डरी हुई है’

उन्होंने इस यात्रा को “ऐतिहासिक यात्रा” बताया, जिसे लाखों लोगों का समर्थन मिला है और “वोट चोरी” के आरोपों को लेकर भाजपा की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि “भाजपा डरी हुई है, इसलिए वे तेजस्वी के विजन को लागू करना चाहते हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है, जिसके बारे में हम अधिसूचना आने के बाद ही बता पाएंगे कि हम बिहार में क्या लागू करेंगे? बिहार में हर कोई कह रहा है कि हमें असली मुख्यमंत्री चाहिए, न कि नकली मुख्यमंत्री.”

रोहिणी आचार्य बोलीं – ‘हद है भाई, अभी तो…’

इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी और नेता रोहिणी आचार्या वोट अधिकार यात्रा के दौरान मीडिया की ओर से यह सवाल पूछे जाने पर कि आखिर राहुल गांधी तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित क्यों नहीं कर रहे हैं? इसके जवाब में उन्होंने अजीबोगरीब जवाब दिया. उन्होंने कहा, “अभी क्या चल रहा है, अभी वोटर के अधिकार की लड़ाई चल रही है. अभी शादी की बात ही नहीं चल रही, यहां सुहागरात किसके साथ मनाई जाएगी, उसकी बात चल रही है क्या? हद है भाई, अभी जो ज्यादा जरूरी है, वही काम न होगा?”

कांग्रेस अनिर्णय का शिकार

कांग्रेस पार्टी ‘सीएम फेस’ के मुद्दे पर अभी अनिर्णय की स्थिति में है. राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते आरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस सवाल को टाल दिया था. उन्होंने कहा था, “सभी भारतीय ब्लॉक सहयोगी आपसी सम्मान की भावना से, बिना किसी तनाव के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और परिणाम अच्छे होंगे.”

उसके बाद से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की हिचक के पीछे वोट बैंक का जटिल समीकरण छिपा है. कांग्रेस लंबे समय से बिहार में अपने कमजोर होते जनाधार को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी महज 19 सीटें ही जीत सकी थी. इस बार भी कांग्रेस कम से कम 70 सीटें चाहती है, लेकिन उसकी निगाहें खास तौर पर सवर्ण, दलित और गैर-यादव पिछड़े वोटरों पर टिकी हैं.

तेजस्वी यादव की लोकप्रियता यादव और मुस्लिम वोटरों में सर्वाधिक है, लेकिन लालू यादव के ‘जंगलराज’ की छवि अब भी उनके नाम से जुड़ी हुई है. कांग्रेस को डर है कि तेजस्वी को जल्दबाजी में सीएम चेहरा घोषित करने से सवर्ण और गैर-यादव पिछड़े वोटर एनडीए की ओर खिसक सकते हैं. यही वजह है कि पार्टी सतर्क रुख अपनाते हुए नेतृत्व का सवाल टाल रही है. 

मुस्लिम और दलित कांग्रेस के लिए अहम

राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मुस्लिम और दलित वोटरों को साधने की कोशिश में है. बिहार की राजनीति में यह दोनों वर्ग बेहद अहम हैं. 18% मुस्लिम और 17% दलित वोट किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. पार्टी भी मानती है कि यादव-मुस्लिम समीकरण तेजस्वी के नेतृत्व में स्वाभाविक रूप से मजबूत होगा, लेकिन सवर्ण, दलित और गैर-यादव ओबीसी वोटों को साथ लाने के लिए उसे अपनी अलग रणनीति पर चलना होगा.

दरअसल, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र यादव, लालू यादव की विरासत को आगे बढ़ाने वाले वंशज हैं, जिन्होंने 2020 के चुनावों में आरजेडी को विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनाने में कामयाबी हासिल की थी. वह कुछ समय के लिए नीतीश कुमार के उप-मुख्यमंत्री भी रहे थे, जो जेडीयू नेता के बदलते रुख का एक उदाहरण है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जो कांग्रेस और आरजेडी सहित विपक्षी महागठबंधन है.

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