Telangana Tunnel Accident : 12 दिनों से सुरंग में फंसे 8 मजदूर, हर मिनट में गिर रहा 5000 लीटर पानी, अब रोबोट करेगा मदद

Telangana Tunnel Accident : तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में स्थित श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग में एक बड़ी दुर्घटना हुई है, जिसमें आठ लोग फंस गए हैं। यह घटना 22 फरवरी 2025 को घटी थी। पिछले 12 दिनों से बचाव कार्य जारी है, लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। सुरंग का एक हिस्सा आंशिक रूप से ढह गया था, जिसके बाद सुरंग में काम कर रहे इंजीनियर और श्रमिकों सहित आठ लोग फंस गए हैं।

यह सुरंग SLBC परियोजना का हिस्सा है, जो एक महत्वपूर्ण जल निकासी परियोजना है। इसमें फंसे हुए लोगों की तलाश के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सुरंग की जटिल परिस्थितियों के कारण यह कार्य काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

अरविंद कुमार, आपदा प्रबंधन के विशेष मुख्य सचिव और वामसी कृष्णा, अचंपेट के विधायक ने बुधवार को बचाव कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि अब तक बचाव प्रयासों में कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई है। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिंगरेनी, रैट होल माइंस, हाइड्रा और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ जुटे हुए हैं, जो मिट्टी और कीचड़ को हटाने का प्रयास कर रहे हैं।

अब तक बचाव कार्य में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने के कारण पानी के जेट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो पहली बार सुरंग में स्थित मिट्टी और कीचड़ को हटाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। पानी के जेट के माध्यम से सुरंग की दीवारों और टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) पर दबाव डाला जा रहा है, ताकि मिट्टी को तोड़ा जा सके और उसे हटाया जा सके। हालांकि, इस नई तकनीकी विधि से अब तक उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले हैं।

रोबोट का किया जाएगा इस्तेमाल

मौजूदा कठिन परिस्थितियों को देखते हुए, तेलंगाना सरकार रोबोट का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। हैदराबाद की एक रोबोटिक कंपनी की टीम सुरंग के अंदर गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या रोबोट सुरंग के भीतर काम कर सकते हैं और वहां की आर्द्रता जैसी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

इसके साथ ही दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी बचाव कार्य में सहयोग देने के लिए सुरंग में गए हैं। उन्होंने सुरंग के अंदर भूकंप संबंधी अध्ययन करने का कार्य किया है, ताकि सुरंग की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

बीते मंगलवार को को रोबोटिक टीम ने सुरंग का मुआयना किया। उनकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसमें यह बताया जाएगा कि क्या रोबोट इन जटिल परिस्थितियों में काम करने में सक्षम हैं या नहीं। यदि रोबोट का उपयोग सफल रहता है, तो भविष्य में सुरंगों के निर्माण और निगरानी के दौरान भी रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह तकनीक सुरंग के भीतर प्रारंभिक टोह लेने के कार्य में भी मदद कर सकती है, जिससे भविष्य में सुरंगों की सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने मार्च 2, 2025 को बचाव अभियान का नेतृत्व करते हुए अधिकारियों को सुझाव दिया था कि यदि आवश्यक हो, तो सुरंग में रोबोट का इस्तेमाल किया जाए, ताकि बचाव कर्मियों को किसी भी जोखिम से बचाया जा सके।

वैज्ञानिक सहायता और उन्नत प्रौद्योगिकी

बचाव कार्य में वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों का भी सहारा लिया जा रहा है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) के विशेषज्ञ ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) का उपयोग करके सुरंग के अंदर मानव उपस्थिति का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक इन उपकरणों से किए गए निरीक्षणों में मानव जीवन के कोई संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि फंसे हुए लोग सुरंग के किसी अन्य हिस्से में हो सकते हैं, जहां तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।

इसके अलावा, एनडीआरएफ के खोजी कुत्तों की मदद भी ली जा रही है, जो सुरंग के भीतर मानव उपस्थिति का पता लगाने में मदद कर रहे हैं। इन कुत्तों से मिली जानकारी के आधार पर ही खुदाई की जा रही है।

बता दें कि बचाव अभियान अभी भी जारी है और इसके तहत वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में खुदाई का कार्य तेज किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि सुरंग के अंदर की परिस्थितियां बहुत कठिन हैं, और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी स्थिति में बचाव कर्मियों की जान को खतरा न हो। इस प्रकार, नई तकनीकों, जैसे रोबोट और GPR का उपयोग, उम्मीद जताई जा रही है कि इनसे फंसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा। सम्भावना जताई जा रही है कि भविष्य में रोबोट का इस्तेमाल सुरंगों के निर्माण और निगरानी में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो सुरंगों की सुरक्षा और बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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