
Bihar Election : बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में हर राजनीतिक बयान नए समीकरणों को जन्म दे रहा है। इसी कड़ी में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
तेज प्रताप ने कहा कि 14 तारीख को जनता जो भी चुनती है, वह उसका समर्थन करेंगे, चाहे वह कोई भी हो। उनके इस बयान ने चुनावी समीकरणों में नई चर्चा को जन्म दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह उसी का साथ देंगे जो मुद्दों पर बात करेगा- जैसे रोजगार, पलायन रुकवाना, किसानों की समस्याओं का हल और राजनीतिक दल या नेता के बजाय जनता के हक की बात करेगा। उनका कहना है कि उनकी राजनीति किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि जनता की आवाज बनना है। उनका मकसद सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि जनता के हित में खड़ा होना है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह बयान एनडीए में शामिल होने का संकेत है, तो उन्होंने कहा कि राजनीति में दरवाजे बंद नहीं होते। यदि कोई दल बहुमत लेकर आता है और जनता के लिए काम करने का वादा करता है, तो वह समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन यह समर्थन शर्तों पर आधारित होगा और जनता के विकास के लिए ही होगा।
अंत में, तेज प्रताप यादव ने कहा कि जनता सबसे बड़ी ताकत है, और 14 तारीख को ही तय होगा कि बिहार का भविष्य कौन संभालेगा। वह जनता के फैसले के साथ रहेंगे। यह बयान तेज प्रताप की ‘जनता समर्थक’ छवि बनाने की कोशिश माना जा रहा है, जो दल से ऊपर उठकर बिहार के हितों की बात कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक इसे ‘रणनीतिक लचीलापन’ के रूप में देख रहे हैं। कुछ इसे उनके व्यक्तिगत रुख का संकेत मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि यह उनके पार्टी की पारंपरिक नीति से थोड़ा अलग है। इस टिप्पणी ने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। यह न केवल एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि चुनावी नतीजों के बाद गठबंधन की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।















