हरियाणा में नई तबादला नीति पर अध्यापक संघ का विरोध, शिक्षक बोले- जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे

अंबाला (हरियाणा) : हरियाणा में शिक्षकों के तबादलों को लेकर 15 वर्ष की ब्लॉक शर्त को लेकर अध्यापक संघ और शिक्षा से जुड़ी यूनियनों में नाराजगी बढ़ गई है। नीति के तहत अब शिक्षक को अपने घर के नजदीकी स्टेशन से दूर किसी अन्य खंड के स्टेशन पर भेजा जा सकता है, जिससे ऐसे खंड में लंबे समय तक कार्यरत शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। शिक्षा विभाग भी जल्द ही तबादला अभियान शुरू करने वाला है और संबंधित शिक्षकों को दूर-दराज के स्कूलों में विकल्प भरना अनिवार्य होगा।

इस नीति के विरोध में सभी यूनियनों ने सरकार को ज्ञापन सौंपकर 15 वर्ष की शर्त हटाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वे इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर न्यायालय की शरण लेंगे।

मोहन परोचा बोले: हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश प्रेस सचिव मोहन परोचा ने कहा कि वर्तमान तबादला नीति विद्यार्थियों, विद्यालयों, शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था के हितों के बिल्कुल विरुद्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस नीति में तुरंत संशोधन किया जाना चाहिए क्योंकि वर्तमान ट्रांसफर पॉलिसी शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का साधन बन रही है।

कमल किशोर ने कहा: राजकीय अध्यापक संघ हजरस के जिला अध्यक्ष कमल किशोर ने 15 वर्ष की अनिवार्यता को अव्यावहारिक और असंवैधानिक बताया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सभी स्वीकृत पद, स्कूल और खंड खुलें और सामान्य विद्यालयों के शिक्षकों को 15 वर्ष की शर्त से मुक्त किया जाए। उन्होंने बताया कि यह नीति 1973 की कठोर तबादला नीति की यादें ताजा कर रही है।

राजेश कुमार ने याद दिलाई राहत: राजकीय प्राथमिक शिक्षा संघ के महासचिव राजेश कुमार ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा लागू की गई तबादला नीति अध्यापकों के लिए राहतभरी रही। उस समय अध्यापकों को घर और परिवार के नजदीकी स्टेशन पर ड्यूटी का विकल्प दिया गया था। लेकिन वर्तमान नीति में 15 वर्ष की शर्त के कारण अध्यापक लंबी दूरी की ड्यूटी और विस्थापन के डर से तनाव में हैं।

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