
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने स्थानीय नगर पालिकाओं और पंचायतों में विकलांग व्यक्तियों के नामांकन की अनुमति देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह विकास स्थानीय शासन में विकलांग लोगों के लिए समावेशिता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एक बार यह विधेयक अधिनियम बन जाने के बाद, राज्य सरकार को स्थानीय निकायों में विकलांग व्यक्तियों को नामांकित करने में सक्षम बनाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनके दृष्टिकोण पर विचार किया जाए। इस कदम से राज्य में विकलांग लोगों के लिए सुलभता और समान अवसरों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
हालांकि विधेयक के कार्यान्वयन की बारीकियों और नामांकन की सटीक प्रक्रिया का अभी विस्तृत विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस कदम से तमिलनाडु भर में विकलांग लोगों को लाभ होने की संभावना है, जिससे उन्हें स्थानीय शासन में अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राज्यपाल के कार्यालय द्वारा इस विधेयक सहित अन्य विधेयकों को मंजूरी देने में देरी पर ध्यान दिया था। अप्रैल 2025 में, न्यायालय ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए लंबित विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिससे शासन में समय पर निर्णय लेने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
इस विकास को स्थानीय शासन में समावेशिता और पहुंच को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, और इसका प्रभाव राज्य की नगर पालिकाओं और पंचायतों में महसूस किए जाने की उम्मीद है।