सरोजिनी नायडू जयंती : मैं सोच भी बदलता हूं,…मैं नजरिया भी बदलता हूं,..मिले ना मंजिल मुझे,…तो मैं उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं,….केजीएमयू में महिला सशक्तीकरण

लखनऊ। मैं सोच भी बदलता हूं,…मैं नजरिया भी बदलता हूं,..मिले ना मंजिल मुझे,…तो मैं उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं,….बदलता नहीं अगर कुछ,….तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,…उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं।… यह कविता है स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू की। वो आजादी के पूर्व महिला सशक्तीकरण की सशक्त आवाज थी। गुरुवार को … Read more

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