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ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) विश्वविद्यालय के हॉस्टल में नेपाल की एक बी.टेक तृतीय वर्ष की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई, जिससे संबंधित समुदाय और नेपाल सरकार में आक्रोश फैल गया है। इस घटना के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मामले का संज्ञान लिया और सोशल मीडिया के जरिए अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने लिखा कि मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से हमें यह जानकारी मिली कि ओडिशा के KIIT विश्वविद्यालय के छात्रावास में एक नेपाली छात्रा की मृत्यु हो गई और नेपाल के छात्रों को जबरन छात्रावास से निकालने का प्रयास किया गया है। इस मामले पर नेपाल सरकार कूटनीतिक तरीके से कार्य कर रही है और संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में है।
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इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी करते हुए बताया कि सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए छात्रावास को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इन छात्रों को 17 फरवरी को तुरंत विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया गया था। विश्वविद्यालय द्वारा इस निर्णय के बाद नेपाली छात्रों के बीच असमंजस और आक्रोश की स्थिति बन गई। छात्रों का आरोप है कि उन्हें बिना किसी स्पष्ट कारण के और बिना समय दिए जबरन हॉस्टल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
नेपाली छात्रों ने रातभर धरना दिया और इस दौरान अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई। एक नेपाली छात्र, अनिल प्रसाद यादव, ने बताया कि उन्हें छात्रावास से जबरन निकाला गया और इस दौरान वे पूरी रात धरने पर बैठे रहे। उनका कहना था कि इस घटना के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उन्हें नहीं दी गई थी और न ही किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें सामान समेटने के लिए सिर्फ एक घंटा दिया गया, जिससे उन्हें अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
दूसरे नेपाली छात्र राजन गुप्ता ने भी अपनी परेशानियों का हवाला दिया और बताया कि वे मृत छात्रा के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का व्यवहार अपमानजनक था और वे किसी भी तरह की मदद के बिना उन्हें हॉस्टल से निकालने के लिए दबाव बना रहे थे। उनका कहना था कि उनके पास पैसे नहीं थे, न ही कोई निश्चित ट्रेन की व्यवस्था थी। उन्हें भोजन भी नहीं दिया गया और विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए नोटिस में यह कहा गया कि नेपाल के सभी छात्रों को निलंबित किया जा रहा है और उन्हें जल्द से जल्द हॉस्टल खाली करना होगा।
इस घटनाक्रम के बीच कई छात्रों ने यह आरोप भी लगाया कि हॉस्टल स्टाफ ने जबरन उनका सामान निकालने की कोशिश की और जो छात्र जल्दी से अपना सामान नहीं समेट पा रहे थे, उन्हें मारा भी गया। छात्रों का कहना था कि उन्हें एक मिनट के भीतर परिसर छोड़ने के लिए कहा गया, जिससे उनका तनाव और बढ़ गया।
इस घटना के बाद नेपाली छात्रों के बीच इस मुद्दे पर तीव्र आक्रोश देखा गया, और उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि उनके साथ उपेक्षित और अपमानजनक व्यवहार किया गया। छात्र संगठनों और नेपाली समुदाय के लोग अब इस मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और नेपाल सरकार से अपेक्षाएं व्यक्त कर रहे हैं कि वे इस मामले में कूटनीतिक तरीके से कार्रवाई करें।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहले ही इस मामले पर संज्ञान लिया और अधिकारियों से संपर्क कर मामले की जांच कराने की बात कही है। वे चाहते हैं कि इस घटना की गहराई से जांच हो और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। इस घटना ने ओडिशा में नेपाली छात्रों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है और उनका विश्वास विश्वविद्यालय प्रशासन पर से उठने की स्थिति में आ गया है।
यह घटना यह साबित करती है कि छात्रों को सुरक्षित और सम्मानित माहौल देना किसी भी विश्वविद्यालय या शैक्षिक संस्थान की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए नेपाल सरकार और KIIT विश्वविद्यालय दोनों को मिलकर इस मामले का समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो और छात्रों के अधिकारों की रक्षा हो सके।