केदारनाथ यात्रा मार्ग रुद्रप्रयाग में घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध मौत : जांच को पहुंचेगी केंद्रीय टीम

केदारनाथ

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ धाम में घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध मौत ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। बीते दो दिनों में 14 घोड़े-खच्चरों की मौत की पुष्टि हुई है, जिससे संक्रमण की आशंका गहरा गई है। हालांकि, फिलहाल पशु पालन विभाग ने मौतों का कारण एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस को मानने से इनकार किया है।

घोड़ों की स्क्रीनिंग और मौत की पड़ताल शुरू

पशुपालन विभाग ने 4 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक कुल 16,000 घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग की, जिनमें से 152 केस सीरो पॉजिटिव पाए गए। लेकिन RT-PCR रिपोर्ट में ये सभी निगेटिव रहे। 4 मई को 6 और 5 मई को 8 घोड़े-खच्चरों की मौत हुई है।

पशुपालन सचिव का बयान

उत्तराखंड के पशुपालन सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि इन मौतों के पीछे फिलहाल एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की भूमिका स्पष्ट नहीं है। उन्होंने जानकारी दी कि हरियाणा के हिसार से केंद्र सरकार की एक विशेष टीम रुद्रप्रयाग पहुंच रही है, जो मौतों की असली वजह की जांच करेगी।

“हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और संक्रमित पशुओं को अलग कर क्वारंटाइन किया जा रहा है।”

24 घंटे का प्रतिबंध लागू

संक्रमण की आशंका के चलते जिला प्रशासन ने घोड़े-खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे का प्रतिबंध लागू कर दिया है। यात्रियों से अपील की गई है कि वे पालकी, डंडी-कंडी या पैदल यात्रा करें। साथ ही पशु संचालकों को चेतावनी दी गई है कि अगर किसी ने इस दौरान प्रतिबंध का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

2010 जैसी स्थिति नहीं बनने देंगे : पशुपालन विभाग

डॉ पुरुषोत्तम ने यह भी कहा कि 2010 में ऐसी ही स्थिति में यात्रा रोकनी पड़ी थी, लेकिन इस बार सरकार हर तरह के एहतियाती कदम उठा रही है ताकि यात्रा जारी रहे और संक्रमण पर नियंत्रण रखा जा सके।

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क्या है एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस?

यह वायरस घोड़ों में फैलने वाला एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन रोग है, जो तेज बुखार, खांसी और कमजोरी का कारण बनता है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को आमतौर पर अलग-थलग रखने की जरूरत होती है।

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