
New Delhi : भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार पर सख्त रुख अपनाया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सूर्य कांत शामिल थे ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि रिजर्व में हुए पारिस्थितिक नुकसान जैसे 6,000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई और अनधिकृत निर्माण की पूरी क्षतिपूर्ति तीन महीने के अंदर की जाए।
बेंच ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) से परामर्श कर सभी अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने और इको-रेस्टोरेशन योजना लागू करने का आदेश दिया। CJI ने जोर देकर कहा, अगर पर्यटन को बढ़ावा देना है, तो यह इको-टूरिज्म के रूप में होना चाहिए, न कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले व्यावसायिक उपक्रम के तौर पर। यह फैसला पर्यावरण कार्यकर्ता गौरव कुमार बंसल की याचिका पर आया, जो 2023 से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA) और वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के उल्लंघन पर सवाल उठा रही थी। आइए, विस्तार से जानते हैं इस ऐतिहासिक फैसले के हर पहलू को।
कॉर्बेट रिजर्व विवाद की पृष्ठभूमि: 6,000 पेड़ कटे, टाइगर सफारी के नाम पर व्यावसायिक घोटाला
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व उत्तराखंड के नैनीताल जिले में फैला 1,318 वर्ग किमी का यह क्षेत्र 1936 में स्थापित भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है, जहां 200 से अधिक बाघ हैं। विवाद 2023 में तब भड़का जब CBI जांच में खुलासा हुआ कि पूर्व वन मंत्री हरीश रावत और पूर्व डायरेक्टर किशन चंद की मिलीभगत से बफर जोन में टाइगर सफारी प्रोजेक्ट के नाम पर 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए। अनुमति सिर्फ 163 पेड़ों की कटाई की थी, लेकिन वास्तव में हजारों काटे गए बिना फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट की स्टेज-II मंजूरी के। इससे बफर जोन में होटल, रिसॉर्ट्स और सड़कें बनाई गईं, जो WPA की धारा 35 और NTCA दिशानिर्देशों का उल्लंघन था।
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने CEC को जांच सौंपी, जिसकी रिपोर्ट में नुकसान का अनुमान 500 करोड़ रुपये से अधिक लगाया गया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने CBI प्रॉब को मंजूरी दी, लेकिन हाल ही में पूर्व डायरेक्टर राहुल के खिलाफ अभियोजन पर स्टे लगाने पर SC ने हाईकोर्ट को फटकार लगाई। CJI ने कहा, “यह राज्य-समर्थित पर्यावरण विनाश का क्लासिक केस है, जहां राजनेता और अधिकारी ‘पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन’ को कूड़ेदान में फेंक चुके हैं।
“
सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश: 3 माह में ध्वस्तीकरण, CEC निगरानी में रेस्टोरेशन
सोमवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने उत्तराखंड सरकार को निम्नलिखित कड़े निर्देश दिए:
अवैध निर्माण ध्वस्त: मुख्य वन्यजीव वार्डन को CEC से परामर्श कर 3 महीने के अंदर सभी अनधिकृत संरचना ओंहोटल, रिसॉर्ट्स, सड़कें और बाउंड्री वॉल को ध्वस्त करने का आदेश। CEC योजना की निगरानी करेगी।
पेड़ कटाई की भरपाई: राज्य सरकार अवैध कटाई के लिए पारिस्थितिक पुनर्स्थापन (इको-रेस्टोरेशन) करे। CEC नुकसान का मूल्यांकन करेगी और दोषी अधिकारियों/व्यक्तियों से वसूली का सुझाव देगी। अनुमानित लागत 500-700 करोड़ रुपये हो सकती है।
टाइगर सफारी पर सख्ती: कोर एरिया में कोई सफारी नहीं; बफर/फ्रिंज जोन में 2019 NTCA नियमों के तहत ही अनुमति। वाहनों की संख्या सीमित, जीपों को रेगुलेट करें। सफारी के पास रेस्क्यू सेंटर स्थापित करें, जहां घायल जानवरों का उपचार हो।
बाघ संरक्षण योजना: 3 महीने में व्यापक बाघ संरक्षण योजना तैयार करें, जिसमें NTCA, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) और CEC शामिल हों।
कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान: कोर एरिया में तैनात स्टाफ (जो परिवार से दूर रहते हैं) के लिए विशेष सुविधाएंजैसे आवास, मेडिकल और रोटेशन देने का आदेश।
CJI ने कहा, बाघ जंगल के हैं, जंगल बाघों के दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। पर्यटन से लाभ हो, लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं।
पर्यावरणीय प्रभाव: बाघों का आवास खतरे में, CBI प्रॉब से और खुलासे
कॉर्बेट में अवैध कटाई से बफर जोन का 20% क्षेत्र प्रभावित हुआ, जिससे बाघों का मूवमेंट बाधित और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा। WWF इंडिया के अनुसार, 2024 में रिजर्व में 15% वन कवर घटा, जो जलवायु परिवर्तन को तेज कर रहा है। CBI प्रॉब में पूर्व मंत्री हरीश रावत और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं ED ने 2023 में छापे मारे थे। SC ने राज्य को स्पेशल ट्रीटमेंट बंद करने को कहा, जो पूर्व डायरेक्टर राहुल को राजाजी रिजर्व में बहाल करने का था।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: ‘इको-टूरिज्म का सही रास्ता, लेकिन अमल में चुनौती’
पर्यावरण विशेषज्ञों ने फैसले की सराहना की। WII के डायरेक्टर पी.के. मथुर ने कहा, यह ‘एनिमल-सेंट्रिक’ अप्रोच है, जो बाघों की रक्षा करेगा। लेकिन राज्य को फंडिंग और मॉनिटरिंग मजबूत करनी होगी। वन्यजीव कार्यकर्ता बेलूर रही ने कहा, अवैध निर्माण पर्यटन का बहाना था SC का कदम साहसिक है। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वह निर्देशों का पालन करेगी, लेकिन पर्यटन उद्योग (जो रिजर्व से 20% राजस्व देता है) पर असर की चिंता जताई।















