
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अगले मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि न्यायालय की कार्यप्रणाली में कार्यपालिका का हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग की गई थी। प्रमुख अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस संबंध में अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है।
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह बंगाल में सुरक्षाबलों की तैनाती करे और साथ ही हिंसा की जांच के लिए एक पैनल गठित करे। इसके अलावा, मुर्शिदाबाद क्षेत्र से हिन्दुओं के पलायन पर भी रिपोर्ट पेश करने की बात कही गई है।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान, उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और न्यायपालिका के कामकाज में कार्यपालिका के हस्तक्षेप के आरोपों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
यह मामला राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कई बीजेपी नेताओं ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, जिससे सियासी संवाद और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया से स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता और कार्यप्रणाली के संरक्षण के प्रति सजग है, और वह राजनीतिक दबाव को नजरअंदाज करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करेगी।