न्याय में देरी से सुप्रीम कोर्ट चिंतित, देशभर के सभी हाई कोर्ट से समस्त लंबित मामलों की मांगी रिपोर्ट

Supreme Court Seeks Report From All High Courts: तारीख पर तारीख… ये फिल्मी डायलॉग तो आपने सूनी ही होगी, लेकिन अब देशभर में कोर्ट के इस रवैय से खुद सुप्रीम कोर्ट भी परेशान हो गया है. दरअसल, फैसले सुनाने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी कि 5 मई को सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को उन मामलों पर एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया, जिनमें 31 जनवरी, 2025 तक या उससे पहले फैसले सुरक्षित रखने के बावजूद अभी तक फैसला नहीं सुनाया गया है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा, ‘सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उन सभी मामलों के संबंध में रिपोर्ट सामने लाएं, जिनमें 31.01.2025 को या उससे पहले निर्णय सुरक्षित रखे गए थे और जिनमें अभी भी घोषणा का इंतजार है. सूचना में आपराधिक और सिविल मामलों को अलग-अलग शामिल किया जाना चाहिए… इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह एकल या खंडपीठ का मामला है.’

झारखंड कोर्ट ने 3 साल से फैसला रखा था सुरक्षित!

पीठ ने यह आदेश चार दोषियों की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी आपराधिक अपीलों पर फैसला सुरक्षित होने के बावजूद झारखंड हाई कोर्ट ने 2-3 साल बीत जाने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि फैसला सुनाने में देरी बहुत परेशान करने वाली है. उन्होंने मौखिक रूप से कहा, ‘हम निश्चित रूप से कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश तय करना चाहेंगे. इसे इस तरह से होने नहीं दिया जा सकता.’ इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित मामलों में समय पर फैसले सुनाने के लिए हाई कोर्ट को निर्देश जारी किए हैं.

दोषी 3 साल जेल में बंद और मामला लंबित!

याचिका में दिए गए बयानों के अनुसार, दोषी बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल, होटवार, रांची में बंद हैं. उन्होंने रांची में झारखंड हाई कोर्ट में अपनी सजा को चुनौती देते हुए आपराधिक अपील दायर की थी. 2022 में फैसला सुरक्षित रखा गया था, लेकिन आज तक भी हाई कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फ़ैसले न सुनाए जाने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है, जिसका एक पहलू ‘जल्द सुनवाई का अधिकार’ है.

देशभर की कोर्ट में कितने मामले हैं लंबित?

भारत में न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या अत्यधिक है, जो न्यायिक प्रणाली पर भारी दबाव डाल रही है. हालांकि, मई 2025 तक के नवीनतम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन दिसंबर 2023 तक के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले लगभग 80,000 हैं, जबकि हाई कोर्ट में लंबित मामलों का संख्या लगभग 61 लाख है, जबकि जिला और अधीनस्थ न्यायालय की बात करें तो लंबित मामले लगभग 4.46 करोड़ हैं.

इनमें से अधिकांश मामले ‘एडमिशन स्टेज’ पर हैं, जिसका अर्थ है कि इन मामलों की सुनवाई शुरू नहीं हुई है. यहां अधिकांश मामले लंबित हैं, और इनमें से कई मामले 30 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. कुल मिलाकर भारत में न्यायालयों में लगभग 5.08 करोड़ मामले लंबित हैं, जिनमें से अधिकांश जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में हैं.

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