इजराइल में अटॉर्नी जनरल को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, सरकार को झटका

यरुशलम : इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल गाली बहारव-मियारा को पद से हटाने की सरकार की कोशिश को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार का उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव कानूनी रूप से अमान्य है और वह अपने पद पर वैध रूप से बनी रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अटॉर्नी जनरल को हटाने की पहले से तय प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया जा सकता। न्यायालय के अनुसार, किसी भी अटॉर्नी जनरल को पद से हटाने से पहले एक पेशेवर–सार्वजनिक समिति से परामर्श अनिवार्य है, जिसे इस मामले में नजरअंदाज किया गया।

मार्च में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी-धार्मिक गठबंधन सरकार ने बहारव-मियारा के खिलाफ कैबिनेट में अविश्वास प्रस्ताव पारित किया था। सरकार का तर्क था कि नीतिगत मामलों पर अटॉर्नी जनरल और सरकार के बीच गंभीर मतभेद हैं। हालांकि अदालत ने पाया कि पूरी प्रक्रिया में कई प्रक्रियागत खामियां थीं, जिससे यह फैसला कानूनी कसौटी पर टिक नहीं पाया।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब नेतन्याहू सरकार न्यायिक व्यवस्था में सुधार के अपने प्रस्तावों को लेकर पहले ही विवादों में रही है। गाजा युद्ध से पहले सरकार ने न्यायिक सुधार की पहल की थी, जिसका व्यापक विरोध हुआ था। आलोचकों का कहना था कि इससे लोकतंत्र के अहम स्तंभ कमजोर होंगे, जबकि सरकार इसे न्यायिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने की जरूरत बता रही थी।

विपक्षी दलों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए बहारव-मियारा को लोकतंत्र की रक्षक बताया है। इससे पहले भी वह न्यायिक सुधार योजना और अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स छात्रों को सैन्य सेवा से छूट जैसे मुद्दों पर सरकार से टकराती रही हैं, जिनका सीधा असर सत्तारूढ़ गठबंधन की स्थिरता पर पड़ा है।

फिलहाल सरकार या अटॉर्नी जनरल कार्यालय की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस निर्णय को इजराइल की न्यायिक स्वतंत्रता के लिए अहम माना जा रहा है।

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