
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ देर में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति देते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बैन में ढील दी जाएगी। कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन शामिल थे, ने यह फैसला दिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने संकेत दिया था कि पूर्ण प्रतिबंध लागू करना व्यावहारिक नहीं है और न ही यह आदर्श स्थिति है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पटाखे केवल निर्धारित स्थानों पर ही जलाए जाएं। कोर्ट ने पर्यावरणीय चिंताओं, त्योहारों के मौसम की भावनाओं और पटाखा निर्माताओं के आजीविका के अधिकार को ध्यान में रखा है।
सीजेआई ने कहा कि उन्होंने सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया है। उन्होंने बताया कि उद्योग जगत की भी चिंताएं हैं। पारंपरिक पटाखों की तस्करी के कारण अधिक नुकसान होता है। कोविड काल को छोड़कर वायु गुणवत्ता में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों से प्रदूषण में काफी कमी आई है, जिसमें एनईआरई का भी योगदान रहा है।
पटाखों का इस्तेमाल का समय और नियम
- दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली के दिन पटाखों का प्रयोग केवल सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और रात 8 बजे से 10 बजे तक किया जा सकेगा।
- ग्रीन पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी।
- सिर्फ निर्दिष्ट स्थानों पर ही पटाखे जलाए जाएंगे।
- नीरी द्वारा अनुमोदित हरित पटाखों की सूची का प्रयोग होगा।
- निर्दिष्ट स्थान पर ही पटाखे फोड़े जाएंगे।
- नीरी यादृच्छिक नमूने एकत्र करेगी।
- उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- दिल्ली/एनसीआर के बाहर से कोई भी पटाखा नहीं लाया जाएगा।
- ऑनलाइन बिक्री पर रोक रहेगी।
- सरकारी अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण किया जाएगा।
10 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हरित पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। उस समय कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा था कि क्या पटाखा बैन के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर कोई असर पड़ा है।
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