
Sultanpur : किराना व्यापार मंडल समिति ने खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और उपभोक्ताओं की सुरक्षा को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। समिति का कहना है कि विभाग द्वारा की जाने वाली सैंपलिंग और जांच के नाम पर व्यापारियों के साथ उत्पीड़न हो रहा है।
व्यापारियों का कहना है कि इससे वे अनावश्यक दबाव में रहते हैं। इसी क्रम में समिति ने जिले में निशुल्क खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग की, ताकि व्यापारी स्वयं अपने खाद्य पदार्थों की जांच कराकर पारदर्शिता के साथ व्यापार कर सकें।
किराना व्यापार मंडल समिति के अध्यक्ष आलोक सागर ने कहा कि यदि जिले में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी तो व्यापारी और उपभोक्ता दोनों को ही लाभ होगा। व्यापारी जांच की रिपोर्ट दिखाकर पारदर्शी व्यापार कर सकेंगे और उपभोक्ताओं का भरोसा भी बढ़ेगा।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि व्यापारियों की यह बात मानकर सैंपलिंग व्यवस्था कमजोर कर दी जाए तो यह उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलवाड़ होगा। सैंपल जांच ही वह प्रक्रिया है जिससे मिलावटी और खराब खाद्य पदार्थों की पहचान हो पाती है। यदि नियमित जांच न हो तो मिलावटखोरों को खुली छूट मिल जाएगी और आम जनता की सेहत पर सीधा खतरा मंडराने लगेगा। यही वजह है कि विभाग द्वारा की जा रही सैंपलिंग व्यवस्था उपभोक्ता सुरक्षा की रीढ़ कही जाती है।
वहीं, निशुल्क खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना का सुझाव बेहद उपयोगी माना जा रहा है। यदि जिले में ऐसी लैब होगी तो व्यापारी पारदर्शिता के साथ खाद्य पदार्थों की जांच करा सकेंगे और उपभोक्ता भी भरोसे के साथ सामग्री खरीद पाएंगे। इससे न केवल व्यापार में ईमानदारी बढ़ेगी बल्कि विभागीय कार्रवाई और व्यापारियों के बीच टकराव भी काफी हद तक कम होगा।
खाद्य सुरक्षा विभाग का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी केवल नियम लागू करना नहीं बल्कि उपभोक्ताओं की सेहत की रक्षा करना भी है। कोविड-19 के बाद व्यापार की परिस्थितियां भले ही प्रभावित हुई हों, लेकिन खाद्य सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
कुल मिलाकर, समिति की निशुल्क लैब की मांग और विभाग की सैंपलिंग प्रक्रिया दोनों ही आवश्यक हैं। दोनों व्यवस्थाएं साथ-साथ चलें तभी उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षित खाद्य वातावरण का निर्माण संभव हो पाएगा।