
Sultanpur : जिले की एक दिल दहला देने वाली घटना ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। बीए की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत, पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि और पुलिस द्वारा इसे आत्महत्या बताने की कोशिश ने पूरे मामले को और पेचीदा बना दिया है।
परिजनों का आरोप है कि नामजद आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते पुलिस केवल औपचारिक कार्रवाई कर रही है। घटना को हुए 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इससे पीड़ित परिवार की उम्मीदें लगातार टूटती नजर आ रही हैं।
कैसे हुआ था पूरा घटनाक्रम
30 अगस्त को छात्रा फोटोस्टेट कराने के लिए बाजार गई थी, लेकिन रातभर वापस नहीं लौटी। अगली सुबह उसका शव घर से करीब 80 मीटर दूर एक पेड़ से लटका मिला। परिजनों का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या है। जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो उसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई, जिससे परिवार का शक और गहरा हो गया।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि थानेदार ने भाजपा नेता के दबाव में काम करते हुए नामजद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। पुलिस शुरू से ही इसे आत्महत्या बताने में जुटी रही। विरोध और धरना-प्रदर्शन के बाद हत्या की धाराएं तो जोड़ी गईं, लेकिन नामजद आरोपियों को औपचारिक पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। इससे पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
न्याय के लिए दर-दर भटकता परिवार
छात्रा के परिजन पहले पुलिस अधीक्षक से मिले, फिर जिला मुख्यालय पर धरना दिया। बाद में वे लखनऊ जाकर डीजीपी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मिले। इसके बावजूद शासन स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। परिवार का कहना है कि उन्हें हर जगह निराशा ही हाथ लगी है।
राजनीतिक तूल पकड़ा मामला
अब यह मामला राजनीतिक रूप ले चुका है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे गंभीरता से लेते हुए एक सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को पीड़ित परिवार से मिलने भेजने का निर्णय लिया है। इस प्रतिनिधिमंडल में सांसद राम भुआल निषाद, विधायक ताहिर खान, जिलाध्यक्ष रघुवीर यादव, धर्मेंद्र सोलंकी, राम कुमार भुर्जी, प्रदीप भुर्जी और स्वामीनाथ यादव शामिल होंगे।
महिला सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराध में भी यदि पुलिस की भूमिका उदासीन बनी रहती है, तो आमजन का सिस्टम से भरोसा उठना स्वाभाविक है। अब देखना यह है कि छात्रा को न्याय कब और कैसे मिलेगा या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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