सुल्तानपुर। पूर्वांचल के मालवीय कहे जाने वाले स्वर्गीय पंडित राम किशोर त्रिपाठी को उनकी 97वीं जयन्ती पर जिले के लोगों ने याद किया। कर्मयोगी पं0 राम किशोर त्रिपाठी का जन्म 5 अप्रैल 1924 को सुलतानपुर के एक निर्धन परिवार में हुआ था। स्व0 पंडित जी का जीवन समाज सेवा व सुलतानपुर में शिक्षा के विकास के लिए समर्पित रहा।
बचपन काफी कठिनाइयों के साथ बीता उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अनेकों झंझावातों को झेलते हुए हार न मानने के अपनी जिद की वजह से आने वाली पीढि़यों को शिक्षित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का जो संकल्प लिया था। जिसके लिए उनका प्रयास जीवन भर जारी रहा। शहर के माननीय व गणमान्य नागरिकों, व्यापारी बंधुओं के सहयोग से जिले में अनेकों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की। उनके द्वारा स्थापित की गई शिक्षण संस्थाओं में हजारों छात्र-छात्राएं अध्ययन कर अपने जीवन को सफल बनाने का काम कर रहे हैं।
कर्मयोगी पंडित जी के दृढ़ विश्वास व वरिष्ठ नागरिकों के सहयोग से संत तुलसीदास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामलीला मैदान में पांच दशक से रामलीला कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे। उक्त कार्यक्रम को देखने के लिए जिले भर के हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है। पंडित जी के प्रयास से शहर के बाधमण्डी में आर्य समाज मन्दिर की स्थापना कराई गयी थी। जहां हर रविवार को हवन पूजन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सामाजिक चर्चा होती है।
यही नहीं प्रतिवर्ष आर्यसमाज का वार्षिकोत्सव पंडित जी द्वारा अपने जीवन काल कराया जाता रहा। जिसमें देश के कोने कोने से उच्च कोटि के उपदेशक आते रहे। हिन्दू जनमानस में वैदिक विचारधारा का आजीवन प्रचार प्रसार किया। कर्म योगी पंडित जी ने स्वामी दयानन्द सरस्वती, आचार्य विनोबा भावे महात्मा गांधी, व संत तुलसीदास के परम भक्त थे। जिनके नाम पर उन्होंने दर्जनों शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कराई। पंडित जी ने आचार्य विनोबा भावे महाविद्यालय छीड़ा, महात्मा गांधी पीजी कॉलेज कूरेभार, संत तुलसीदास विद्यालय रामलीला व संत तुलसीदास पीजी कालेज कादीपुर की स्थापना की।
गनपत सहाय महाविद्यालय के प्रबंधक पद पर रहते हुए विद्यालय का उत्तरोत्तर विकास किया। गरीब बेटियों के विवाह, गरीब छात्र छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देने, समाज की उन्नति के लिए छात्राओं को विशेष शिक्षा के अधिकार से जोड़ने के लिए कर्मयोगी पंडित जी को हमेशा याद किया जाएगा। मंगलवार को उनकी जयन्ती पर पंडित जी द्वारा स्थापित संस्थाओं में बड़े ही धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें याद किया गया।