सुल्तानपुर। जिला अस्पताल में कई स्ट्रेचरों को पेंट कराया गया। इन पेण्ट कराए गए स्ट्रेचरों को बिना सूखे ही सीएमएस ने इमरजेंसी में रखवा दिया। जिससे मरीजों और स्ट्रेचर धकेलने वाले तीमारदारों के हाथों, कपड़ों और मोबाइल सेट पर ताजे पेण्ट लग कर धब्बे पड़ते रहे। भड़के मरीजों और तीमारदारों ने जब सीएमएस को फोन कर उलाहना दिया तो उन्होंने तीमारदारों से कुतर्क किया और अंत में गलती होना स्वीकार किया। दरअसल शुक्रवार को जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में मरीज ढोने के लिए कई स्ट्रेचरों को पेंट करके बगैर सूखे उन्हें इस्तेमाल में लाने के लिए इमरजेंसी में रखवा दिया गया। अस्पताल की चाक-चैबंद सूरत दिखाने के लिए सीएमएस ने काम तो अव्वल दर्जे का करवाया। लेकिन बगैर सूखे ही पेंट लगे स्ट्रेचर को इमरजेंसी कक्ष में रखवा दिया। जिससे दिन भर मरीजों के तीमारदारों के महंगे कपड़ों में यह पेंट लगता रहा और उन पर धब्बे पड़कर खराब होते रहे।
जब तीमारदारों ने इसकी शिकायत इमरजेंसी कक्ष के स्टाफ से की तो उन्होंने भी सीएमएस डा0 एससी कौशल के इस कृत्य की भत्र्सना की। तीमारदारों ने जब उन्हें फोन लगाकर कपड़ों में लग रहे दाग के विषय में अवगत कराया तो सीएमएस उल्टा तीमारदारों पर भड़क गयेे। उन्होंने कहा तो क्या आप चाहते हैं कि अस्पताल के स्ट्रेचर को पेंट न कराया जाए। जबकि तीमारदारों को कहना था कि बगैर पेंट सूखे उक्त उपकरण को इमरजेंसी कक्ष में क्यों रखवा दिया गया। काफी हुज्जत के बाद अंत में सीएमएस ने बंदर भबकी देंना बन्द किया और कहा कि हां उनसे यह गलती हुई। बताते चलें कि जिला अस्पताल में करीब 3 दर्जन मरीज इसी स्ट्रेचर से लाए और ले जाए गए।
कई मरीज तो बेसुध हालत में एंबुलेंस के जरिए लाए गए। यही नहीं वैवाहिक समारोहों से लौट रही घायल कई महिलाओं के कीमती लहंगों में भी पेण्ट लग गए। जब मरीजों को अन्य वार्ड में शिफ्ट कराया गया उनके कपड़ों में लगे पेंट का असर अस्पताल के बेड की चादर के ऊपर भी फैल गया। अंदाजा लगाया जा रहा है सीएमएस की लापरवाही के कारण लोगों के करीब 5लाख रूपए के कपड़े बर्बाद हो गए। यह वाक्या अंधेर नगरी चैपट राजा की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।