
- विजेथुआ महोत्सव के छठवें दिन वाल्मीकि रामायण की कथा मेँ उमडा जनसैलाब
Kadipur, Sultanpur : जाति रहे लेकिन जातिवाद नहीं होना चाहिये। भारत में जातियोँ में परस्पर प्रेम अनादि काल से रहा है। आज सत्य सुनने वाले बहुत कम हो गये हैं,सब चाटुकारिता में ही लिप्त हैं।
किसी को भी जो उच्च पद पर आसीन हो उसे कभी पक्षपात नहीं करना चाहिए। परशुराम ने पक्षपात किया था। परशुराम ने बड़ी गलती की है जिसे इतिहास कभी क्षमा नहीं करेगा। जब तक सृष्टि रहेगी राम की पूजा सच्चे इंसान और भगवान के रूप में होगी। जब तक सृष्टि रहेगी परशुराम से हमेशा सवाल होता रहेगा और परशुराम निरुत्तर ही सिद्ध होंगे। यह बातें चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहीं।
वह विजेथुआ महोत्सव के छठवें दिन वाल्मीकि रामायण कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि राम ने परशुराम से प्रश्न किया कि आपने अनेक निर्दोष राजाओं को मारा लेकिन जिसने रातों दिन यज्ञ करने वालों की हत्या की हो जिसने ब्राह्मणों के यज्ञोपवीत से कुयें भर दिए हों ऐसे रावण को आपने क्यों नहीं मारा , क्या इसलिए क्योंकि आप पक्षपाती हैं । राम के इस प्रश्न का उत्तर परशुराम नहीं दे सके उन्हें अनुभव हुआ कि उनसे गलती हुई है।
कहा कि कोई छोटा बड़ा नहीं है। जो रामकृष्ण के प्रेमी हैं जो हिन्दू धर्म में विश्वास करते हैं उन सब से मैं प्रेम करता हूं। बताया कि विजेथुआ का नाम पहले विजयस्थ महावीर था ।
डा. रत्नेश तिवारी ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन किया। तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी रामचन्द्र दास ने गुरु अर्चन किया। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात, पूर्व डीआईजी कृपा शंकर सिंह, डॉ राम आसरे तिवारी पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र प्रमोद मिश्र मुन्ना , रिँकू महाराज, डॉ सुरेन्द्र प्रताप तिवारी, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, योगेंद्र तिवारी, विजयधर मिश्र, राम विनय सिंह, अमरीश मिश्र, डॉ हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, अरविंद पाँडेय, राहुल पाण्डेय, सर्वेश मिश्र, रीतेश दूबे, रितेश उपाध्याय, रामूश्यामू उपाध्याय, शीलेश बरनवाल…… आदि उपस्थित रहे।रहे लेकिन जातिवाद न हो