
इंदौर : देशभर में प्रदूषण और बढ़ते तापमान की एक प्रमुख वजह बन रही नरवाई जलाने की घटनाओं पर इंदौर जिला प्रशासन ने अब सख्त रुख अपना लिया है। गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों को जलाने के मामले में 77 किसानों के विरुद्ध पंचनामें तैयार किए गए हैं, जिन पर जल्द ही पर्यावरण क्षति के आधार पर जुर्माना लगाया जाएगा।
किसानों को लगातार दी जा रही थी चेतावनी
प्रशासन की ओर से पूर्व में किसानों को चेतावनी दी गई थी कि नरवाई जलाना न केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह कानूनी रूप से दंडनीय अपराध भी है। बावजूद इसके कई किसान इस निर्देश का उल्लंघन करते नजर आए।
कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर कार्रवाई
जिला कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर कृषि, राजस्व और पंचायत विभाग की संयुक्त टीमें सक्रिय होकर प्रभावित क्षेत्रों में मौके पर जाकर पंचनामे बना रही हैं। यह कार्रवाई पर्यावरण विभाग की अधिसूचना के अंतर्गत की जा रही है, जिसके तहत फसल अवशेष जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
फसल कटाई के बाद जलाई जा रही नरवाई
कलेक्टर ने बताया कि जिले में गेहूं की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है और इसके बाद नरवाई जलाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि, “नरवाई जलाना मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है और वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बनता है। यह खेती के लिए आत्मघाती कदम है।”
प्रचार रथ और किसान संवाद कार्यक्रम के जरिए जागरूकता
5 से 16 अप्रैल 2025 तक जिले में फसल अवशेष प्रबंधन प्रचार रथ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इस दौरान ग्राम पंचायतों में किसान संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें कृषि विशेषज्ञ किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान और प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दे रहे हैं।
जुर्माने की राशि भूमि के आधार पर तय
प्रशासन द्वारा नरवाई जलाने वालों पर निम्नानुसार जुर्माना लगाया जाएगा:
- 2 एकड़ तक भूमि वालों पर — ₹2,500 प्रति घटना
- 2 से 5 एकड़ भूमि वालों पर — ₹5,000 प्रति घटना
- 5 एकड़ से अधिक भूमि वालों पर — ₹15,000 प्रति घटना
इन प्रकरणों पर आगामी दिनों में मध्यप्रदेश सरकार के पर्यावरण अधिनियमों के तहत विधिवत कार्रवाई की जाएगी।