
New Delhi : लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान मंगलवार को कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार को लेकर तीन मांगें कीं। उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों के चयन में बदलाव, मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) को समाप्त करने और चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश ट्रांसफर पर रोक लगाने की अपील की।
मनीष तिवारी ने कहा कि 15 जून 1949 को डॉ. भीमराम अंबेडकर ने चुनाव आयोग का ड्राफ्ट पेश किया था, जिस पर कई सदस्यों ने इसे स्थायी बनाने की बात कही। इसके बाद डॉ. अंबेडकर ने इसे स्थायी संस्था के रूप में स्थापित किया। संविधान सभा की कार्यवाहियों को देखकर स्पष्ट होता है कि संविधान निर्माताओं ने देश में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखा था। ऐसे में एक देश, एक चुनाव का औचित्य अब समाप्त हो गया है।
उन्होंने कहा कि साल 2023 में बने कानून के अनुसार चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत एक कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। तिवारी ने सुझाव दिया कि इस समिति में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को और जोड़ा जाए।
मनीष तिवारी ने कहा कि देश में एसआईआर का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। चुनाव आयोग को केवल उस क्षेत्र में एसआईआर कराने का अधिकार है, जहां सूची में गड़बड़ी पाई जाती है, पूरे राज्य में नहीं। इसलिए इसे पूरे देश में तुरंत रोका जाए। कांग्रेस सदस्य ने तीसरी मांग में चुनाव से पहले सरकारी धन का डायरेक्ट कैश ट्रांसफर बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ है और इससे मतदाता पर अनुचित प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि पिछले 78 वर्षों में मतदान प्रणाली में सबसे बड़ा सुधार 1988-89 में हुआ, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष की। उसके बाद से अब तक कोई बड़ा चुनाव सुधार नहीं हुआ। तिवारी ने कहा कि आज के संदर्भ में चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए ये तीन सुधार आवश्यक हैं।















