
- एसजीपीजीआई पीडियाट्रिक गैस्ट्रो क्लीनिक 2025 का आयोजन 22 से
लखनऊ। वर्तमान समय में, बच्चों में विभिन्न पेट और यकृत रोगों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सामान्य दस्त संबंधी बीमारियों के अलावा, दुनिया भर में और साथ ही भारत में बच्चों में सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) बढ़ रहा है। यकृत रोगों में, बढ़ती जागरूकता और मौलिक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधाओं की उपलब्धता के कारण विभिन्न मेटाबौलिक लिवर रोगों के अधिक से अधिक मामलों का निदान किया जा रहा है। पारिवारिक इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (पी एफ आई सी) अब भारत में असामान्य नहीं है। बच्चों में एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और हाल के दिनों में इस रोग के प्रबंधन में भी भारी बदलाव आया है।
संस्थान की पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी ओपीडी में बच्चो में functional gastrointestinal disorders जैसे functional gastrointestinal pain के मामले भी आ रहे है। गलत निदान से बचने और समय पर उचित उपचार हेतु जनसामान्य के साथ-साथ चिकित्सकों के बीच जागरूकता की आवश्यकता है।
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज, लखनऊ का पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग 22 और 23 मार्च 2025 को लेक्चर थिएटर कॉम्प्लेक्स में विभाग के 17वें स्थापना दिवस समारोह के साथ-साथ तीसरे एसजीपीजीआई पीडियाट्रिक गैस्ट्रो क्लीनिक 2025 का आयोजन कर रहा है। देश भर और पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और नेपाल से लगभग 150 प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। डॉ. विनीता हार्डिकर, प्रोफेसर पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, रॉयल चिल्ड्रेन हॉस्पिटल (आरसीएच), मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया और आंत प्रत्यारोपण की प्रमुख इस वर्ष की हमारी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संकाय हैं। अगले दो दिनों में जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा की जाएगी। इसमें
टाइफाइड, डेंगू के कारण होने वाली हेपेटाइटिस, एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस का प्रबंधन, पेट दर्द विकारों का प्रबंधन, कब्ज से पीड़ित बच्चों का उपचार प्रबंधन, सीलिएक रोग में नैदानिक दृष्टिकोण, आईबीडी व प्रोग्रेसिव पारिवारिक इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (पीएफआईसी), छोटी आंत से रक्तस्राव का प्रबंधन। कार्यक्रम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह बच्चों में प्रचलित अधिकांश सामान्य गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं को कवर करता है। ये क्लीनिक निसंदेह चिकित्सकों और समाज को अधिकतम लाभ प्रदान करेंगे।