
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय (SDSSU) ने लंबी प्रतीक्षा के बाद पहली बार प्री पीएचडी कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिससे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं में उत्साह है। विश्वविद्यालय ने इस नए कार्यक्रम के तहत आठ अध्ययन केंद्र बनाए हैं, जहां पर छात्र छह माह तक प्री पीएचडी कोर्स करेंगे। इसके बाद शोध कार्य के लिए गढ़वाल मंडल के 12 राजकीय महाविद्यालयों को शोध केंद्र के रूप में नियुक्त किया गया है।
इस वर्ष से शुरू हुए प्री पीएचडी कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय ने कुल 20 विषयों में आवेदन मांगे थे, लेकिन संस्कृत और भू-गर्भ विज्ञान जैसे कुछ विषयों में कोई आवेदन नहीं आया। इसके बावजूद, 18 विषयों में 215 छात्रों ने प्रवेश लिया है, जिनमें से सबसे अधिक 65 छात्रों ने विवि के ऋषिकेश कैंपस में दाखिला लिया है।
अध्यान केंद्र और शोध केंद्र: प्री पीएचडी कार्यक्रम के लिए विवि ने ऋषिकेश, कोटद्वार, गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, डोईवाला, नई टिहरी और डाकपत्थर जैसे प्रमुख महाविद्यालयों को अध्ययन केंद्र के रूप में नियुक्त किया है। इसके बाद, शोध कार्य के लिए गढ़वाल मंडल के 12 राजकीय महाविद्यालयों को शोध केंद्र के रूप में चयनित किया गया है। इनमें ऋषिकेश, डोईवाला, रायपुर, डाकपत्थर, नई टिहरी, उत्तरकाशी, अगस्त्यमुनि, कर्णप्रयाग और जयहरीखाल महाविद्यालय शामिल हैं।
कुलपति प्रो. एनके जोशी का बयान: कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को उच्चतम स्तर के शोध कार्य करने का अवसर मिलेगा। यह विश्वविद्यालय की स्थापना के 13 साल बाद पहली बार पीएचडी और प्री पीएचडी की सुविधा शुरू की गई है, जो राज्य के युवा शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस नई पहल से न केवल विश्वविद्यालय की शोध क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि छात्रों को भी एक संरचित और बेहतर शोध वातावरण प्राप्त होगा।