कयासबाजी, चर्चा पर लगा विराम क्योंकि माटी का लाल ही करेगा देवरिया में कमाल

देवरिया। दो मार्च 2024। यही वो तारीख थी, जब भाजपा ने एक झटके में आठ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए मगर देवरिया आकर ठहरना पड़ गया। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान सांसद रमापति राम त्रिपाठी जैसे दर्जनभर दमदार दावेदारों के बीच चमक रहे कई मणियों और डाक्टरों में से किसी एक को चुनना पार्टी के लिए चुनौती बन गया।

पूर्वांचल में राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले देवरिया में बाहरी, स्थानीय, अनुभव, उम्र, छवि जैसे दर्जनभर मापदंडों पर 45 दिन चली मशक्कत और लंबी कवायद के बाद मंगलवार को जब शशांक मणि त्रिपाठी का नाम पर सार्वजनिक हुआ तब जाकर दावों, कयासों और चर्चाओं पर विराम लगा। उच्च शिक्षा, युवा चेहरा, स्वच्छ छवि, विनम्रता, स्थानीयता, खानदानी रसूख, रानीतिक विरासत और समाजसेवा के लंबे अनुभव में शशांक मणि अन्य दावेदारों पर भारी पड़ते हुए भाजपा के प्रत्याशी बने।

भाजपा ने पहली सूची में ही गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में से आठ सांसदों को दोबारा टिकट देकर उन पर भरोसा जता दिया था। देवरिया के वर्तमान सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट रुकते ही राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गईं और तमाम दावेदार दिल्ली की ओर दौड़ पड़े।

टिकट की कतार में जिन दावेदारों के नाम की सर्वाधिक चर्चा थी, उसमें वर्तमान सांसद डा.रमापति राम त्रिपाठी के अलावा शशांक मणि त्रिपाठी, डा शलभ मणि त्रिपाठी, डा सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी, डा.अजय मणि त्रिपाठी, डा पीके राय शामिल थे। इसके अलावा कुछ उद्यमी भी टिकट के लिए प्रयासरत नजर आ रहे थे।

एक तरफ डा रमापति राम त्रिपाठी पैर जमाकर खड़े थे तो दूसरी ओर दावेदार भी अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा रहे थे। इस बीच महिला प्रत्याशी उतारने की चर्चा भी खूब चली। इसमें नगर पालिका अध्यक्ष के अलावा महिला पत्रकार और महिला नेता का नाम भी चर्चा में आया। यद्यपि यह नाम सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रहे। अंतिम पायदान तक जिन नामों पर गंभीरता से विचार चला उसमें डा रमापति राम के अलावा शशांक मणि त्रिपाठी, डा शलभ मणि त्रिपाठी, डा सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ही शामिल रहे।
टिकट बदलने के पीछे जो कारण चर्चा में थे उसमें स्थानीयता और सक्रियता का मुद्दा सर्वाधिक मुखर था। दरअसल भाजपा का स्थानीय संगठन पिछले दो चुनाव से इस बात को लेकर अंदरखाने नाराज चल रहा था कि यहां से बाहरी को टिकट क्यों।

2014 में पार्टी ने कलराज मिश्र को और 2019 में डा रमापति राम को प्रत्याशी बनाया। इसके बाद से ही स्थानीय नेता और जनप्रतिनिधि अपने समर्थकों के माध्यम से विभिन्न मंचों पर विरोध दर्ज कराते आ रहे थे। इसके अलावा उम्र और सक्रियता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे थे। चर्चा थी कि क्षेत्र की जनता को सांसद से जैसी सक्रियता की अपेक्षा रहती है उस पर न तो वर्तमान सांसद खरे उतर रहे थे न ही उनसे पूर्व के। विरासत में मिली राजनीति और नामी खानदान

देवरिया के उच्च शिक्षित नामी खानदान में जन्मे भाजपा प्रत्याशी शशांक मणि त्रिपाठी को राजनीति भी विरासत में मिली है। उनके दादा पंडित सुरति नारायण मणि त्रिपाठी आइसीएस अधिकारी थे। वह गोरखपुर समेत कई जिलों के कलेक्टर और संपूर्णानंद संस्कृत विवि में कुलपति थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वह दो बार स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से दो बार एमएलसी बने। शशांक मणि त्रिपाठी के पिता लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी उप थल सेनाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। वह दो बार देवरिया सीट से भाजपा के सांसद रहे। बड़े पिता श्रीनिवास मणि त्रिपाठी उर्फ श्री बाबू गौरीबाजार से दो बार विधायक थे। चाचा श्री विलास मणि त्रिपाठी सेवानिवृत्त डीजीपी हैं।

समाजसेवा का लंबा अनुभव

बैतालपुर, बरपार गांव के रहने वाले 55 वर्षीय शशांक मणि त्रिपाठी आइआइटी दिल्ली से बीटेक व आइएमडी लूसान से एमबीए हैं। स्वावलंबी भारत अभियान केंद्रीय टोली के नीति प्रमुख हैं। तीन पुस्तकें मिडिल ऑफ डॉयमंड इंडिया, भारत एक स्वार्णिम यात्रा व इंडिया काफी चर्चित हैं।
शशांक की मां शशि त्रिपाठी भी सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। दो लड़कियां तारीणि, ईशा, पत्नी गौरी मणि जानी -मानी कथक कलाकार हैं। शशांक मणि त्रिपाठी दो भाई हैं। शशांक समाजसेवा के साथ नवाचार के लिए भी जाने जाते हैं। 16 वर्षों से जागृति यात्रा का संचालन कर रहे हैं।आठ हजार युवाओं की टोली उसमें शामिल हो चुकी है। 2023 में जी 20 और स्टारटप 20 के साथ उनकी साझेदारी भी रही।

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