
Behraich : बहराइच में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने का मामला अब विवादों में घिर गया है। यह घटना उस समय की है, जब जिले की पुलिस लाइन में नवंबर के पहले सप्ताह में पुंडरीक गोस्वामी के कथा आयोजन के दौरान पूरे सम्मान के साथ उनका स्वागत किया गया।
इस आयोजन में एसपी रामनयन सिंह ने खुद परेड की अगुवाई की और कथावाचक को पूरी फोर्स की परेड सलामी दी। साथ ही, उनके सम्मान में रेड कारपेट बिछाया गया और पोडियम पर खड़े होकर वे पुलिसकर्मियों को संबोधित भी कर रहे थे। इस भव्य आयोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें पुलिस की परेड और सम्मान समारोह स्पष्ट नजर आ रहा है।
हालांकि, इस वीडियो के वायरल होने के बाद विपक्षी नेता और समाज के कई वर्ग इस पर आपत्ति जता रहे हैं। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान सिर्फ संवैधानिक पदाधिकारियों, जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि को ही दिया जाना चाहिए, न कि धार्मिक व्यक्तित्वों या कथावाचकों को। इस विवाद के चलते उत्तर प्रदेश पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया है। प्रदेश के डीजीपी ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बहराइच के एसपी रामनयन सिंह से तुरंत सोशल मीडिया पर जारी किए गए वीडियो का स्पष्टीकरण मांगा है।
फिलहाल, पुलिस की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। वहीं, इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग तर्क और बहसें शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इसे परंपरागत सम्मान का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे संवैधानिक सम्मान का उल्लंघन बता रहे हैं।
इस मामले में विपक्षी नेताओं, खासकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर ने भी इस घटना को लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
यह मामला अब राजनीतिक बहस का केन्द्र बन चुका है और पुलिस विभाग भी स्थिति की जांच कर रहा है। इस विवाद के पीछे की असल मंशा और संदर्भ स्पष्ट होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
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