
नई दिल्ली/आगरा। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन एक बार फिर सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ तीखी बहस में उलझ गए। पुलिस ने उन्हें मथुरा में एक दलित उत्पीड़न मामले में पीड़ित परिवार से मिलने जाने से रोक दिया, जिससे नाराज़ होकर सपा सांसद ने मौके पर ही पुलिस द्वारा दिया गया नोटिस फाड़कर फेंक दिया।
क्या है मामला?
रामजी लाल सुमन सोमवार को समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मथुरा के एक गांव में दलित परिवार के साथ हुए कथित उत्पीड़न की घटना के बाद वहां जाकर पीड़ितों से मुलाकात करने जा रहे थे। लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें “कानून-व्यवस्था की स्थिति” का हवाला देते हुए मथुरा जाने से रोक दिया।
सुबह पुलिस अधिकारी उनके आगरा स्थित आवास पर पहुंचे और उन्हें नोटिस सौंपा जिसमें कहा गया था कि उनकी मथुरा यात्रा से स्थानीय स्थिति बिगड़ सकती है।
संसदीय गरिमा बनाम प्रशासनिक सख़्ती
पुलिस का यह कदम सपा सांसद को रास नहीं आया और उन्होंने खुले मंच पर कहा,
“सरकार दलितों की आवाज़ दबा रही है। उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार चरम पर है और ये सरकार दबंगों के मन की सरकार बन गई है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला जा रहा है, और उन्हें पीड़ितों से मिलने से रोकना न्याय और संविधान दोनों का अपमान है।
नोटिस फाड़ते हुए दिखे नाराज़ सांसद
मीडिया में वायरल हुए वीडियो में रामजी लाल सुमन नोटिस को मौके पर ही फाड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दमनकारी रवैया सत्ताधारी दल की हताशा को दर्शाता है।
पहले भी लग चुके हैं प्रतिबंध
यह कोई पहला मौका नहीं है जब सपा सांसद को सरकारी कार्यक्रमों या जन मुद्दों पर दौरे से रोका गया हो। पिछले कुछ वर्षों में कई बार उन्हें नजरबंद किया गया या पुलिस निगरानी में रखा गया है, खासकर तब जब वह संवेदनशील सामाजिक मामलों पर मुखर रूप से सक्रिय हुए हैं।
राजनीतिक तापमान चढ़ा
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। समाजवादी पार्टी ने इस पूरे प्रकरण को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है, जबकि राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय पूरी तरह एहतियाती और प्रशासनिक था।
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