दक्षिण कोरिया की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां चीन का मुकाबला करने में मदद करेंगी- अमेरिकी नौसेना प्रमुख

Seoul, South Korea : अमेरिकी नौसेना संचालन प्रमुख एडमिरल डेरिल कॉडल ने कहा कि चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत है। दक्षिण कोरिया की परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियां इसमें मदद करेंगी। भविष्य में इनकी तैनाती स्वाभाविक है। उन्होंने भरोसा जताया कि ऐसी क्षमता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगियों के रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगी।

द कोरिया हेराल्ड अखबार की रिपोर्ट के अनुसार डेरिल कॉडल की यह टिप्पणी सियोल और वाशिंगटन के एक द्विपक्षीय तथ्य-पत्र के सामने आने के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में आई। इससे पहले अमेरिकी नौसेना संचालन प्रमुख एडमिरल डेरिल कॉडल ने शुक्रवार को सियोल में अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष एडमिरल कांग डोंग-गिल से बातचीत की।

कॉडल ने सियोल में पत्रकारों के एक समूह से कहा कि एक बार जब दक्षिण कोरिया परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी तैनात कर देगा तो अमेरिका उससे चीन का मुकाबला करने की अपनी व्यापक योजना में भूमिका निभाने की उम्मीद करेगा। चीन के आक्रामक कदमों को वाशिंगटन अपनी प्रमुख दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौती मानता है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि चीन का मुकाबला करने के लिए उस पनडुब्बी का उपयोग एक स्वाभाविक अपेक्षा है। अमेरिका यह उम्मीद करता है कि यह साझेदारी एक गठबंधन के रूप में काम करते हुए हमारे संयुक्त लक्ष्यों को पूरा करेगी। मुझे लगता है कि काफी हद तक कोरिया भी चीन के साथ अपनी चिंताएं साझा करता है।”

उनकी यह टिप्पणी सियोल और वाशिंगटन के एक द्विपक्षीय तथ्य-पत्र जारी करने के बाद आई है। इस तथ्य-पत्र में राष्ट्रपति ली जे म्युंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 29 अक्टूबर को हुए शिखर सम्मेलन के दौरान हुए समझौतों का विवरण दिया गया है। इस विवरण में सियोल के परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के लिए किए जा रहे प्रयासों का वाशिंगटन से समर्थन भी शामिल है। कॉडल ने कहा कि दक्षिण कोरिया के आगामी कदमों से यह गठबंधन और सुदृढ़ होगा।

कॉडल ने इस समझौते को दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली तेज हमलावर पनडुब्बियां बनाने में मदद करने की प्रतिबद्धता जताई है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी वाले देश और पारंपरिक पनडुब्बी वाले देश के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां कहीं अधिक सक्षम होती हैं। पानी के अंदर लंबे समय तक गुप्त अभियानों को जारी रखने की उनकी क्षमता का रणनीतिक महत्व है।”

उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि अमेरिका इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी करने को तैयार है।” कॉडल ने कहा कि एक बार जब दक्षिण कोरिया परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी हासिल कर लेगा तो उसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत हो जाएगी। उन्होंने कहा, ” मैं अमेरिका, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की अन्य समान विचारधारा वाली नौसेनाओं के बीच निरंतर सहयोग देखना चाहूंगा।”

कॉडल ने इस दौरान स्वीकार किया कि वाशिंगटन “जहाज निर्माण क्षमता की गंभीर चुनौती” का सामना कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें दक्षिण कोरियाई निवेश बहुत सहायक हो सकता है। उत्तर कोरिया के हालिया परीक्षणों और पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल विकास के संबंध में कॉडल ने कहा कि प्योंगयांग अमेरिका के लिए नौसैनिक खतरा नहीं है, हालांकि उसकी क्षमता दक्षिण कोरिया के लिए “क्षेत्रीय खतरा” हैं।

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