पराली जलाने की समस्या का समाधान: बायो फ्यूल सर्कल की नई पहल

  • उत्तर प्रदेश के किसानों को पराली जलाने की समस्या से निपटने और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कारोबारों को बढ़ावा देने की दिशा में बायो फ्यूल सर्कल के बायोमास बैंक की ओर से योगदान

बाराबंकी: भारत के अग्रणी डिजिटल बायोएनर्जी प्लेटफॉर्म बायो फ्यूल सर्कल ने पराली जलाने की ज्वलंत समस्या से निपटने के रामनगर बायोमास बैंक के पहल पर प्रकाश डाला है। पराली जलाने के मौसम के दौरान शुरू की गई यह पहल, कृषि अपशिष्ट को मूल्यवान संसाधन में बदलकर पर्यावरण क्षरण और किसान कल्याण की दोहरी चुनौतियों का समाधान करती है।

फसल कटाई के बाद खेतों को साफ करने के लिए पराली जलाना प्रचलित तरीका है, लेकिन इसके नतीज़े विनाशकारी होते हैं। समूचे क्षेत्र में छा जाने वाली जहरीली धुंध से लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जबकि पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी के क्षरण के कारण किसानों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति की प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया में, ‘पराली से उज्ज्वल भविष्य’ कैंपेन किसानों को एक ऐसा विकल्प प्रदान करता है, जिससे न सिर्फ़ पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि आय और नए कारोबार के अवसर भी उपलब्ध होते हैं।

बायो फ्यूल सर्कल की पहल का आधार नवीन और सहभागी बायोमास एकत्रीकरण मॉडल है, जिसे बायोमास बैंक कहा जाता है। पराली का संग्रहण, परिवहन और भंडारण इसके क्लाउड-आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संभव है। इससे किसानों को उद्योग से जुड़ने का अवसर मिलता है। वे अपनी पराली को बाजार में बेच सकते हैं, जिसे जैव ईंधन के उत्पादन में फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, इस प्रकार समस्या को सुनहरे अवसर में बदलने का मौका मिलता है। इससे किसानों को फसल के अवशेषों से पैसा कमाने का अवसर मिलेगा, और जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। बायो फ्यूल सर्कल सर्किल के ऐप आधारित परिचालनों और हाल ही में डिजिटल नेटवर्क से जुड़ी कृषि समाशोधन मशीनों की शुरूआत ने किसानों और स्थानीय लोगों को आपूर्ति श्रृंखला में ज़्यादा प्रभावी ढंग से शामिल होने का अवसर दिया है।

इसके लाभ वित्तीय लाभ से कहीं ज़्यादा हैं। इस पहल के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, स्थानीय लोगों को नौकरियां मिल रही हैं, और छोटे ग्रामीण व्यवसायों का विकास हो रहा है, साथ ही ट्रैक्टर मालिकों, मशीन ऑपरेटर और बायोमास आपूर्ति श्रृंखला में शामिल अन्य श्रमिकों को भी शामिल किया जा रहा है। बाराबंकी में, बायो फ्यूल सर्कल ने ग्रामीण ट्रैक्टर ऑपरेटरों के लिए देश का पहला प्रशिक्षण और सर्टिफिकेशन कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के ज़रिए प्रतिभागियों को फसल कटाई के बाद की मशीनरी, जैसे बेलर, रेकर और स्लेशर को सही तरीके से चलाने के बारे में

ज़रूरी कौशल सीखने को मिलता है, जिससे खेत की सफाई का काम कुशलता और सुव्यवस्थित तरीके से किया जा सके। भविष्य को ध्यान में रखते हुए, बायो फ्यूल सर्कल ने वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक अपने ग्रामीण बायोमास गोदामों की संख्या 15 से बढ़ाकर 35 करके अपनी पहुंच का और विस्तार करने की योजना बनाई है, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख कृषि राज्यों पर खास ध्यान दिया जाएगा। 75 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, कंपनी ने 70,000 किसानों को जोड़ने, 250,000 मीट्रिक टन बायोमास एकत्र करने और अपने कुल बायोमास संग्रह को तीन गुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

बायो फ्यूल सर्कल की योजना मार्च 2025 तक 10 राज्यों में परिचालन शुरू करने की है, जिससे ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और भारत के जैव ऊर्जा क्षेत्र में इसकी स्थिति मजबूत होगी। कंपनी के कामों को सराहा जा रहा है। बायो फ्यूल सर्कल हाल ही में LinkedIn की भारत के शीर्ष स्टार्टअप्स की 2024 सूची में 8वें स्थान पर रही, जिससे यह मान्यता प्राप्त करने वाली पहली जैव ईंधन कंपनी बन गई। यह सम्मान भारत की जैव ईंधन आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव लाने और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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