Sitapur : ‘यातायात माह’ बना मजाक, हरदोई चुंगी पर हर दिन ‘जाम का झाम’, टीआई की टीम नदारद

Sitapur : एक ओर जिला प्रशासन 1 नवंबर से ‘यातायात माह’ मना रहा है और बड़े-बड़े दावों के साथ जागरूकता रैली निकाल रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर की लाइफलाइन माने जाने वाली हरदोई चुंगी जाम के भयानक झाम से बेहाल है। ‘यातायात माह’ की शुरुआत में किए गए दावे अब हवा हो चुके हैं, और आलम यह है कि शहर की सबसे व्यस्त चुंगी पर हर दिन लोगों को घंटों पसीना बहाना पड़ रहा है।

यातायात माह पर सवाल
‘यातायात माह’ के उद्घाटन में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और टीआई की टीम ने बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन शहर जाम से कराह रहा है और टीआई व उनकी टीम का कहीं कोई अता-पता नहीं है। एक कहावत है “बगल में छोरा, शहर में ढिंढोरा”, यानी समस्या ठीक बगल में है, लेकिन समाधान की बातें मंच पर हो रही हैं।

होमगार्ड और पुलिस की लापरवाही
हरदोई चुंगी पर खड़े होमगार्ड और ट्रैफिक सिपाही या तो फोन पर व्यस्त रहते हैं या फिर गपशप में मस्त। वहीं गल्ला मंडी पुलिस चौकी की पुलिस को जाम में फंसे लोगों की परेशानी से कोई मतलब नहीं है। वे सिर्फ वसूली में ही मस्त रहते हैं। एक कहावत है “अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को देय”, यानी जिम्मेदारी मिली है ट्रैफिक संभालने की, पर व्यस्तता सिर्फ निजी लाभ और गपशप में है।

इमरजेंसी का ‘शिकार’ बन जाती है एंबुलेंस
यह जाम कोई आज की समस्या नहीं है। यह हर रोज, सुबह से लेकर शाम तक, पूरे दिन का नित्य कर्म बन चुका है। सबसे भयावह स्थिति तब होती है जब इमरजेंसी में निकलने वाली एंबुलेंस भी इस भीड़ का शिकार होकर बीच जाम में फँस जाती है। समय पर अस्पताल न पहुँच पाने के कारण गंभीर मरीज बेबसी में तड़पते रहते हैं। जब जान बचाने वाली एंबुलेंस ही जाम में फँस जाए, तो बेबस आदमी सिवाय आँसू बहाने के क्या कर सकता है।

जिला प्रशासन और यातायात पुलिस को इन जुबानी दावों से बाहर निकलकर तुरंत हरदोई चुंगी पर सख्त एक्शन लेने की आवश्यकता है, ताकि ‘यातायात माह’ सिर्फ कागजों में न सिमटकर जनता के लिए सच में राहत लेकर आए।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें