Sitapur : तर्पण श्राद्ध व दर्शन पूजन के भक्तिरस में डूबी दिखी नाभि गया

Naimisharanya, Sitapur : सतयुग की धार्मिक नगरी नैमिष धाम में आज पितृ विसर्जनी अमावस्या के पावन संयोग पर गृह प्रदेश के साथ देश के विभिन्न प्रांतों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने तीर्थ स्थित चक्रतीर्थ, गोमती नदी के राजघाट, देवदेवेश्वर घाट और काशीकुण्ड तीर्थ पर स्नान आचमन के बाद अपने पितरों की अक्षय तृप्ति के लिए बड़े ही श्रद्धाभाव से आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य विधिविधान से पितृ तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए। साथ ही पुरोहितों को श्रद्धानुसार भोजन कराकर वस्त्र, मिठाई और दक्षिणा दी गई। आज के दिन तीर्थ में पूरे दिन बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं द्वारा उपरोक्त घाटों पर सूर्यास्त के पहले तक पितृ कर्म का दौर चलता रहा। इससे पहले सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं ने चक्रतीर्थ व गोमती नदी में स्नान पूजन के बाद तीर्थ के प्रमुख मंदिर माँ ललिता देवी, हनुमानगढ़ी, व्यास गद्दी, कालीपीठ, सूत गद्दी, देवदेवेश्वर आदि मंदिरों में दर्शन पूजन कर शीश नवाया। दर्शन-पूजन का यह अबाध क्रम देर शाम तक चलता रहा।

पितृ तर्पण-श्राद्ध के साथ दी पितरों को विदाई

पितृ परंपरा के अनुसार बीती पूर्णमासी से शुरू हुए पितृपक्ष आज पितृपक्ष अमावस्या को पूर्ण होते हैं। इस दिन सभी पूर्वजों का एक साथ तर्पण, दान व ब्राह्मण को भोजन करवाकर श्राद्ध पूरा किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि हमें जिन पितरों की तिथि का ध्यान नहीं हो या फिर वे पूर्वज जो अज्ञात हैं, उनके सभी का श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जा सकता है। शास्त्रों में इसे अमृत का दिन माना जाता है, और ऐसा भी कहा गया है कि इस दिन किया गया श्राद्ध सभी पितृ ग्रहण करते हैं।

ऑनलाइन तर्पण-श्राद्ध का भी चला दौर

कई श्रद्धालु ऐसे भी थे जो किसी कारण से तीर्थ में तर्पण और श्राद्ध करने नहीं आ सके, जिसके चलते उन्होंने व्हाट्सएप कॉल, वीडियो कॉल के माध्यम से आचार्य से जुड़कर घर पर ही तर्पण और पिंडदान किया। साथ ही आचार्य दक्षिणा भी ऑनलाइन पेमेंट ऐप के जरिए अपने बैंक खाते में प्राप्त करते रहे।

मार्ग भीड़ से भरे, वाहनों की लगीं कतारें

आज तीर्थ में ललिता देवी से चक्रतीर्थ मार्ग पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। वहीं, सीतापुर-हरदोई मार्ग से लेकर ललिता देवी चौराहे से कल्ली मार्ग पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। इस दौरान ललिता देवी से चक्रतीर्थ मार्ग पर कई बार चौपहिया वाहनों के घुसने से श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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