
Sitapur : सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से देशभर के शिक्षकों में भारी नाराजगी है। इस फैसले में नए-पुराने सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे दशकों से सेवा दे रहे शिक्षक भी प्रभावित हो रहे हैं। इस फैसले के विरोध में, शिक्षक समुदाय ने 11 सितंबर, 2025 को देशभर के जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजने का फैसला किया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2010 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किया था, लेकिन 2010 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों को इससे छूट दी गई थी। हालांकि, शिक्षकों का आरोप है कि 10 अगस्त, 2017 को केंद्र सरकार ने गुपचुप तरीके से एक आदेश पारित किया, जिसमें सभी शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया गया। यह आदेश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद सार्वजनिक हुआ, जिसमें कोर्ट ने 2017 के इसी आदेश का हवाला देते हुए सभी शिक्षकों को दो साल के भीतर टीईटी पास करने का निर्देश दिया है।
इस फैसले से उन लाखों शिक्षकों में मायूसी और आक्रोश है, जो 20-30 सालों से सेवा दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस आदेश से उनके भविष्य पर संकट आ गया है।
सीतापुर में भी विरोध-प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेश त्यागी के नेतृत्व में, प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ यह विरोध-प्रदर्शन होगा। इसी क्रम में, सीतापुर में भी शिक्षक एकजुट होकर विरोध दर्ज कराएंगे।
संगठन के जिलाध्यक्ष मनीष कुमार रस्तोगी और जिला मंत्री आराध्य शुक्ल ने जिले के सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे 11 सितंबर, 2025 को दोपहर 2:30 बजे लालबाग पार्क में इकट्ठा हों। इसके बाद, वे एकजुट होकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री/शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह उनके और उनके परिवारों के जीवन का सवाल है, और वे सरकार पर इस आदेश को वापस लेने का दबाव बनाएंगे।