सीतापुर। तीर्थ नैमिषारण्य विशिष्ट धर्म पारायण तपोभूमि है इस पुनीत भूमि की रज रज 88000 ऋषियों के तप एवं आशीर्वाद से अभिसिंचित है ऐसी पुण्यप्रदायी भूमि पर भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र की पावन श्रीमद् भागवत कथा का वाचन और श्रवण सदैव मानव मात्र के लिए परम कल्याणकारी होता है। यह प्रवचन आज श्रीललिता सदन में श्रीमहाकाली मंशा देवी मंदिर महंत बिहारी लाल के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन कथाव्यास विवेक भाई शास्त्री ने कथा प्रांगण में उपस्थित श्रोताओं को श्रवण कराया।
आज कथा के पहले दिन कथाव्यास विवेक भाई शास्त्री ने श्रीमदभागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि आध्यात्म का मर्म जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया वैसे ही भागवत कथा जीव को अभय बना देती है। कथाव्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। ये परमहंसों की संहिता है, श्रीमद्भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है। देवताओं को दुर्लभ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल ये पावन ग्रन्थ भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है।
इससे पहले पहला आश्रम महंत नन्हकू दास, बनगढ़ महंत सन्तोष दास खाकी के पावन सानिध्य में वेदपाठी बटुकों व भक्तो के जयघोष के मध्य भव्य शोभा यात्रा ललिता सदन से चक्रतीर्थ पहुंची एवं तीर्थ पर वैदिक पूजन कर ललिता देवी मंदिर में मां का आशीष प्राप्त कर वापस कथास्थल आई। इस अवसर पर मुख्य यजमान नरेंद्र शर्मा रामवरण ने पत्नी यंदनी शर्मा व पुत्र मुक्तेश्वर शर्मा के साथ कथाव्यास का पूजन व माल्यार्पण कर अभिनन्दन किया।