
सीतापुर। अक्षय तृतीया के पर्व पर, जब पारंपरिक रूप से बिना मुहूर्त विवाहों की संख्या बढ़ जाती है, जिला प्रशासन सीतापुर ने संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए सतर्कता और सक्रियता का परिचय दिया। जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती प्रिया पटेल के निर्देशन में महिला कल्याण विभाग की टीमें विशेष निगरानी के तहत जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात रहीं।
सचल दल के रूप में कार्यरत महिला कल्याण टीमों ने मंदिरों, विवाह स्थलों एवं ग्रामीण इलाकों में विशेष सतर्कता बरती। पूर्व सूचना, सामाजिक मीडिया मॉनिटरिंग एवं ग्रामीण स्रोतों के माध्यम से प्राप्त संभावित बाल विवाह की सूचनाओं पर त्वरित कार्यवाही की गई। कई जगहों पर जाकर टीमों ने माता-पिता, रिश्तेदारों एवं आयोजनकर्ताओं को कानून की जानकारी देते हुए विवाह को स्थगित कराया।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत बालकों (18 वर्ष से कम उम्र की लड़की व 21 वर्ष से कम उम्र का लड़का) का विवाह अवैध है और इसके लिए जुर्माने तथा कारावास का प्रावधान है। उन्होंने यह भी बताया कि समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे कृत्यों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।
प्रमुख प्रयासों में शामिल रहे
24×7 निगरानी टीमों का गठन, मंदिरों एवं पंजीयन कार्यालयों पर सतर्क उपस्थिति, बाल विवाह के प्रति पंचायत स्तर पर पूर्व जागरूकता अभियान, स्थानीय पुलिस, चाइल्डलाइन 1098, बाल संरक्षण इकाई और बाल विवाह निषेध अधिकारियों का सक्रिय समन्वय, संभावित बाल विवाहों को स्थगित कराने में सामाजिक दबाव की बजाय विधिक कार्यवाही की चेतावनी का प्रयोग। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने आमजन से अपील की कि वे बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने में सहयोग करें और चाइल्डलाइन 1098 या जिला महिला कल्याण कार्यालय पर सूचना देकर बालकों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में भागीदार बनें।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को नई गति
सीतापुर। जनपद में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने और बेटियों की सुरक्षा, शिक्षा तथा उनके अधिकारों के प्रति आमजन में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से महिला कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्रम में जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती प्रिया पटेल द्वारा जनपद में सार्वजनिक स्थलों, शिक्षण संस्थानों और समुदायिक केंद्रों पर जागरूकता गतिविधियों को सक्रिय रूप से संचालित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न माध्यमों जैसे नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, बैनर, पेम्फलेट, जागरूकता रैलियों एवं कार्यशालाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों, विशेषकर ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को बेटियों की महत्ता, उनके अधिकारों तथा सुरक्षा के विषय में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिविरों एवं जागरूकता अभियानों में भाग लेकर बेटियों के सशक्तिकरण की दिशा में सहयोग करें।
उन्होंने जानकारी दी कि जनपद में परित्यक्त शिशुओं की रक्षा हेतु विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसियों (एस0ए0ए0) के सहयोग से उपयुक्त स्थानों पर पालना शिशु स्वागत केंद्र स्थापित करने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। साथ ही पूर्व में स्थापित किन्तु निष्क्रिय पालना केंद्रों को भी पुनः क्रियाशील किया जा रहा है, जिससे परित्यक्त शिशुओं को सुरक्षित वातावरण मिल सके और उन्हें भविष्य में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के माध्यम से परिवार का स्नेह प्राप्त हो सके। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नवजात असुरक्षित परिस्थिति में न छोड़ा जाए तथा समाज में सभी बच्चों को समान अधिकार और संरक्षण प्राप्त हो।