
- खंडित मूर्ति स्थापित किए जाने के फैसले पर स्थानीय लोग सकते में
- किसी अदृश्य दबाव में कार्य कर रहा स्थानीय प्रशासन
- विकास हिन्दू का अल्टीमेटम—दो माह में बदली जाए खंडित मूर्ति
Hargaon, Sitapur : पौराणिक सूर्यकुण्ड तीर्थ पर खंडित शिव प्रतिमा स्थापित किए जाने का विवाद अब एक बड़े सियासी और आस्था के टकराव में बदल गया है। प्रशासन द्वारा ‘समझौते’ के नाम पर क्षतिग्रस्त मूर्ति को ‘रिपेयर’ करवाकर लगवाने का फैसला लिया गया, जिसके बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर किस ‘अदृश्य शक्ति’ ने प्रशासन पर इतना दबाव बनाया कि वह हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ करने को तैयार हो गया।
घसीटी गई मूर्ति, भड़के युवा
मामला शनिवार को शुरू हुआ, जब सूर्यकुण्ड तीर्थ के 1.02 करोड़ रुपये के सौंदर्यीकरण कार्य के तहत कूप पर स्थापित की जाने वाली भगवान शंकर की विशाल प्रतिमा लखनऊ से लाई गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मूर्ति को ट्रैक्टर-ट्रॉली से सड़क पर घसीटते हुए लाया गया, जिससे वह खंडित हो गई। इस दृश्य ने स्थानीय श्रद्धालुओं, खासकर बगैर नेतृत्व के एकजुट हुए हरगांव के आस्थावान युवाओं में भारी आक्रोश पैदा कर दिया। उन्होंने तत्काल मूर्ति लगाने से मना कर दिया और ‘दलाल पत्रकार मुर्दाबाद’ के नारे लगाकर अपना गुस्सा जताया।
युवा नेता का अल्टीमेटम, सियासी हलचल तेज
सोमवार को यह विवाद तब और बढ़ गया जब युवा नेता विकास हिन्दू ने प्रशासन के इस कदम को ‘हिंदू आस्था से खिलवाड़’ बताया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रशासन को चेतावनी देते हुए दो माह का अल्टीमेटम दिया। विकास ने कहा कि अगर दो माह के भीतर खंडित मूर्ति को नहीं बदला गया और नई, अखंडित प्रतिमा स्थापित नहीं की गई, तो हरगांव में बड़ा धरना-प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा, “हिंदू आस्था से खिलवाड़ प्रशासन को भारी पड़ेगा।
एसडीएम का हस्तक्षेप और ‘राजनीतिक’ समझौता
विवाद बढ़ता देख, एसडीएम सदर धामिनी एम. दास मौके पर पहुँचीं। हिंदू संगठनों के साथ हुई बैठक में एसडीएम ने इस खंडित मूर्ति को केवल ‘सौंदर्यीकरण’ का हिस्सा बताते हुए इसे रिपेयर करवाकर लगवाने का दबाव बनाया। एसडीएम ने मूर्तिकार संजय कुमार प्रजापति से 50 वर्ष की लिखित गारंटी, हर पांच वर्ष में रंगरोगन और मूर्ति की गुणवत्ता की ऑडिट जाँच जैसे निर्देश दिए। प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार पांडेय को नियत स्थान पर मूर्ति लगवाने के आदेश दिए गए।
हालांकि, इस ‘मरम्मत’ वाले फैसले ने श्रद्धालुओं को सकते में डाल दिया है कि प्रशासन को किसने मजबूर किया कि वह नई मूर्ति लाने के बजाय खंडित को ही स्वीकार करे जो सीधे-सीधे हिंदू धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन है।
वर्तमान में खंडित मूर्ति को नगर पंचायत अध्यक्ष की तुर्तीपुर स्थित बगिया में रिपेयर किया जा रहा है, ताकि इसे वैकल्पिक रूप में स्थापित किया जा सके। सूर्यकुण्ड तीर्थ परिसर पर भारी पुलिस बल की तैनाती है, जिससे माहौल तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पूरे मामले में ठेकेदार और नगर पंचायत के कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत है, जिन्हें उच्च प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि प्रशासन ने आस्था के खिलाफ जाकर खंडित मूर्ति को स्वीकार करने का यह ‘समझौता’ किया है।











