दीपक कश्यप के शव को किया गया सुपुर्दे खाक
सीतापुर। सोमवार को जब शहर से एक साथ चार अर्थियां उठी तो करूण क्रदंन की आवाजें इतनी तीव्र थीं कि सड़क से निकलने वाले भी अपने आंसू नहीं रोक सके। शहर के गोपाल घाट पर सभी का अंतिम संस्कार किया गया। जहां हर एक आंख नम और दिल में गम भरा था। शव रविवार को देर शाम सीतापुर पहुंचे थे। जिससे उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका था। जबकि दीपक कश्यप के शव को रविवार को ही सुपुर्दे खाक कर दिया गया था।
सड़क से निकलने वाले भी रोक नहीं सके आंसू
बताते चलें कि तमिलनाडु राज्य के मदुरै रेलवे स्टेशन पर खड़े रेलवे यात्रा कोच में सिलेडर में हुए विस्फोट से नौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। जिसमें सीतापुर शहर के पांच लोग शामिल थे। जिसमें धार्मिक यात्रा ले जाने वाले भसीन टूर एंड ट्रैवेल्स के संचालक हरीश उर्फ पप्पू भसीन, उनके स्टाफ के अंकुल कश्यप, दीपक कश्यप, मिथिलेश कुमारी तथा शत्रुदमन सिंह शामिल थे। घटना में सभी मृतकों के शवों को हवाई जहाज से लखनऊ भेजा गया था। जहां पर शवों को लेने के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की थी।
लखनऊ से शवों के साथ में ही राज्यमंत्री सुरेश राही आए थे। जहां पर राज्यमंत्री सुरेश राही, एमएलसी पवन सिंह चैहान तथा सांसद राजेश वर्मा ने पहुंच कर हर एक परिजन से वार्ता की और सत्वांतना भी दी। जिसके बाद सोमवार को मिथिलेश कुमारी तथा शत्रुदमन सिंह के एक साथ पार्थिव शरीर गोपाल घाट पर पहुंचे। उनकी चिता को आग दी ही गई थी तभी भसीन टूर एंड ट्रैवेल्स के संचालक हरीश उर्फ पप्पू भसीन का भी पार्थिव शरीर पहुंच गया और उन्हें भी मुखाग्नि दी गई। इसी दौरान अंकुल कश्यप का भी शव वहां पहुंचा और मुखाग्नि दी गई। एक साथ जल रही चार चिताओं को देख वहां मौजूद हजारों की संख्या में लोग रो रहे थे। वहीं दीपक कश्यप के शव को रविवार को ही जब शव घर पहुंचा था तो पहले से ही सभी तैयारी कर ली गई थी जिसके बाद उसके शव को सुपुर्दे खाक कर दिया गया था।
शहर में हर तरफ फैला गम का माहौल
सीतापुर शहर के अंदर हर तरफ इसी घटना को लेकर चर्चा हो रही थी। हर जुबां पर एक ही बात थी हे ईश्वर इतना बड़ा अनर्थ कैसे हुआ। सभी लोग सभी मृतकों की मौत पर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। घटना के दिन से लेकर आज तक सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ मृतकों के साथ हुई घटना ही छाई रही। वहीं शहर के बाजारों में पप्पू भसीन को लेकर कई संगठनों ने श्रृद्धांजलि बैठक भी की।
मोहल्ले के कई घरों में नहीं जले चूल्हे
घटना 26 अगस्त की सुबह हुई थी। सभी की मौत की खबर शाम तक पूरी तरह से कंफर्म हो गई थी। उसी रात उनके घरों में चूल्हे नहीं जले। आसपास के रिश्तेदार तथा मि़त्रों ने खाना चाय नाश्ता पहुंचाया था लेकिन 27 की शाम को जब शव पहुंचे तो मोहल्ले के उन घरों तक में चूल्हे नहीं जले जो पास में रहते थे। आने वाला हर व्यक्ति संतात्वना दे रहा था। शवों के घर पहुंचते ही हाहाकर मच गया था। करूण क्रंदन सुन हर व्यक्ति की आंख नम थी।