Sitapur : भारत में रहकर कमा रहे रोज़ी-रोटी, लेकिन परिजनों की फिक्र में नेपाल लौटने को बेताब नेपाली नागरिक

Sitapur : नेपाल के वे नागरिक जो भारत में आकर अपनी आजीविका चलाते हैं, अब अपने देश लौटने को बेताब हैं। सीतापुर के कलेक्ट्रेट में हींग, शिलाजीत और पहाड़ी धनिया बेचने वाले नेपाली व्यापारियों ने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह बात कही। उनका कहना है कि वे भारत में सम्मान के साथ रहते हैं और अपनी रोज़ी-रोटी कमा पाते हैं।

तत्कालीन ओली सरकार का विरोध
कलेक्ट्रेट में सामान बेचने आए नेपाल के वीरविश्व सिंह और मनोज सिंह (आपस में मामा-भांजा) ने बताया कि वे करीब एक माह से भारत में रहकर हींग, शिलाजीत और पहाड़ी धनिया बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। थोड़े बहुत मुनाफे से उनका खर्च चलता है। बीते तीन दिनों की घटनाओं के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी मोबाइल और समाचारों से मिली है। उनका कहना है कि नेपाल की पुरानी ओली सरकार की नीतियाँ खराब थीं, जिसकी वजह से हालात बिगड़े। वे अब आज ही शाम को अपने घर लौट रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है।

भारत में मिला सम्मान
सीतापुर में सामान बेचने वाले नेपालियों ने भारत में मिले सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि यहाँ वे बिना किसी भेदभाव के व्यवसाय कर रहे हैं और सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। कभी भी कोई भारतीय उनसे गलत व्यवहार नहीं करता, बल्कि हमेशा प्यार और सम्मान से पेश आता है।

नेपाल की अस्थिर राजनीति, भारत बना सहारा
व्यापारियों ने बताया कि नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें भारत आना पड़ा। यहाँ वे हींग, शिलाजीत और पहाड़ी धनिया बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। उनका कहना है कि नेपाल की पुरानी ओली सरकार की नीतियों से वे नाखुश हैं, जिसके विरोध में वहाँ कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।

भारत और नेपाल के बीच सदियों से गहरे और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते हैं, बल्कि व्यापारिक और पारिवारिक संबंध भी बेहद मजबूत हैं। नेपाली नागरिक भारत में बिना किसी परेशानी के आ-जा सकते हैं और भारतीयों के लिए भी नेपाल की यात्रा सरल है।

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