
Sakran, Sitapur : विकास खंड सकरन की ग्राम पंचायत मजलिशपुर में मनरेगा योजनाओं के तहत चल रहे कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि फर्जी हाजिरी, मजदूरों की संख्या में हेराफेरी और मानक विहीन निर्माण कराकर बड़े पैमाने पर सरकारी धन का भुगतान निकालने की तैयारी की गई है।
हाजिरी में ‘भूतों’ का खेल
ग्रामीणों का सबसे गंभीर आरोप यह है कि प्रदीप के खेत से पखानियांपुर सरहद तक किए जा रहे चकबंद निर्माण में कागजों पर 96 श्रमिक दिखाए गए, जबकि मौके पर इतनी संख्या में लेबर का कोई नामो–निशान नहीं था। खास तौर पर महिला श्रमिकों की संख्या में बड़े स्तर पर गड़बड़ी पाई गई, जहां फर्जी नाम जोड़कर हाजिरी भरी गई।
इसी तरह संपर्क मार्ग से नाला खेत तक चल रहे चकबंद निर्माण में 56 लेबर दर्शाए गए, लेकिन काम बेहद कम पाया गया। राकेश के खेत से सोहन के खेत तक के निर्माण कार्य में भी सैकड़ों श्रमिकों के नाम जोड़े गए हैं, जिनमें कई नाम पूरी तरह फर्जी बताए जा रहे हैं।
प्रधान–रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की ‘ट्रायो’ पर उंगली
ग्रामीणों का दावा है कि यह पूरा धांधली का खेल 27 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच किए गए विभिन्न मनरेगा कार्यों में हुआ। उन्होंने सीधे–सीधे प्रधान, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की मिलीभगत का आरोप लगाया है। सबसे बड़ा सवाल ब्लॉक स्तर के एपीओ पर भी खड़ा हो रहा है कि उन्हें इस बड़े फर्जीवाड़े की भनक क्यों नहीं लगी, या फिर जानबूझकर इसकी अनदेखी की गई।
उच्चस्तरीय जांच की मांग
मामला अंत्येष्टि सहायता कार्य में अनियमितताओं तक पहुंच गया है, जहां वास्तविक लाभार्थियों के स्थान पर अन्य नाम जोड़कर भुगतान का प्रयास किया गया। ग्रामीणों ने मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता बहाल करने और गरीब मजदूरों के हक का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए मामले की तत्काल उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।











