
गोंदलामऊ, सीतापुर। गोंदलामऊ क्षेत्र में स्थित बैशौली गांव की गौशाला में तेंदुए ने दहशत फैला रखी है। पिछले तीन दिनों में तेंदुए ने दो बछड़ों को अपना शिकार बनाया है। पहला हमला 1 सितंबर को हुआ, जिसमें एक बछड़े को तेंदुए ने शिकार बनाया।
बुधवार की सुबह गौशाला में जंगली जानवर के पगचिह्न मिले। गौवंश की गिनती में एक और बछड़े के गायब होने की पुष्टि हुई। बैशौली के पूर्व प्रधान दीनू शुक्ला ने वन विभाग को सूचना दी। मौके पर मिश्रिख रेंजर सिकंदर सिंह के नेतृत्व में टीम पहुंची। टीम में वन दरोगा ऋषभ सिंह, अनिल यादव, अजय पांडेय, वन रक्षक नीरज और वीट प्रभारी विजय शामिल थे। वन विभाग की 28 सदस्यीय टीम ने सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक गौशाला के आसपास के जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया। क्षेत्रीय वन दरोगा ऋषभ सिंह तोमर के अनुसार, गौशाला के पास पिंजड़ा लगाया गया है। टीम रात में भी गौशाला के पास कॉम्बिंग के लिए तैनात है।
बाघिन के हमले के बाद मौके पर पहुंचे एक्सपर्ट
महोली सीतापुर। महोली में मौजूद हिंसक पशुओं की दहशत बढ़ती ही जा रही है। बीती चौबीस घंटे पूर्व ही बाघ द्वारा मिर्जापुर निवासी मेवाराम की गाय पर बाघ ने हमला किया था। बुधवार दोपहर के वक्त बाघिन ने कटीघरा और श्यामजीरा के बीच मौजूद गन्ने के खेत में कुत्ते पर हमला बोल दिया। आवाज सुन कर पास में ही झुंड में घास काट रहे किसानों के शोर मचाने पर बाघिन कुत्ते को छोड़ भाग गई। हमले के बाद लहूलुहान कुत्ता खेत से बाहर निकाला। भागते समय बाघिन के कुछ बाल भी कटीले तारों में फंस गए। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे बाघ का रेस्क्यू करने आए एक्सपर्ट को दो अलग-अलग पगचिह्न मिलते। लोगो में दहशत तब और फैल गई जब विशेषज्ञों द्वारा पाया गया कि वर्तमान में दो बाघ के पगचिह्न मिले। उन्होंने ने यह बताया के यह मादा बाघ के पगचिह्न के निसान है। जबकि लगभग एक पखवारा पूर्व नरनी गांव के निवासी सौरभ पर हमला कर उसे मौत के घाट उतारने वाला बाघ नर बाघ था।