Sitapur : ‘बेल्ट कांड’ में कानूनी-सियासी तूफान, फिर टली प्रधानाचार्य की जमानत सुनवाई

  • अब 6 अक्टूबर सोमवार को मिली नई तारीख
  • कम होने का नाम नहीं ले रहीं जेल में बंद प्रधानाचार्य की मुश्किलें

Sitapur : सीतापुर बीएसए कार्यालय में हुए बहुचर्चित ‘बेल्ट कांड’ के आरोपी प्रधानाचार्य बृजेन्द्र सिंह वर्मा की न्यायिक और राजनीतिक राहें अस्थिर बनी हुई हैं। उनकी जमानत याचिका पर आज, 04 अक्टूबर 2025 को जिला जज के समक्ष होने वाली सुनवाई भी टल गई है, जिससे उन्हें अभी जेल में ही रहना पड़ेगा। फिलहाल अगली तारीख सोमवार 6 अक्ब्टूबर लगी होने की जानकारी न्यायिक सूत्रों द्वारा दी जा रही है।

लगातार टली सुनवाई, बढ़ी न्यायिक हिरासत

प्रधानाचार्य बृजेन्द्र वर्मा की जमानत सुनवाई की तारीख लगातार दूसरे दिन भी बढ़ गई है। पूर्व में, 03 अक्टूबर को भी सुनवाई नहीं हो सकी थी। आज, 04 अक्टूबर को पुनः तारीख बढ़ाए जाने से जमानत पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। इस न्यायिक विलंब ने सभी की निगाहें बेल्ट कांड के चर्चित आरोपी प्रधानाचार्य पर टिका दी हैं। कानूनी सूत्रों का मानना है कि मामला हाई-प्रोफाइल होने और राजनीतिक रूप ले लेने के कारण न्यायिक प्रक्रिया में भी अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। सूत्रों की माने तो अब इस पर सुनवाई 6 अक्टूबर को होनी है। अब फिर देखना है कि इस मामले में 6 अकटूबर को जमानत पर सुनवाई होगी या फिर तारीख इसी तरह से किसी न्यायिक कारणवश आगे बढ़ेगी।

महापंचायत का एलान, शिक्षक समाज के विरोध से यू-टर्न

बेल्ट कांड ने न्यायिक गलियारों के साथ-साथ सीतापुर के सियासी माहौल में भी उबाल ला दिया है। 03 अक्टूबर की शाम को, प्रधानाचार्य की पत्नी ने सीतापुर में एक ‘महापंचायत’ आयोजित करने की घोषणा की थी। इस महापंचायत को कुछ राजनीतिक और सामाजिक गुटों द्वारा जातिगत समर्थन जुटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा था, जिससे जिले का सामाजिक और प्रशासनिक माहौल गरमा गया था। महापंचायत की जानकारी होते ही इस घोषणा का शिक्षक समाज के विभिन्न गुटों ने भारी विरोध किया। उनका मत था कि यह घटना व्यक्तिगत है और इसे जातिगत या राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। शिक्षक समाज ने एकजुटता दिखाते हुए इस तरह के प्रयास का मुखर विरोध किया। शिक्षक समाज का कहना था कि खुद शिक्षक समाज इससे निपटने में सक्षम है तो जातिगत के आधार पर महापंचायत की जरूरत क्या है।

जिसके बाद शिक्षक समाज के भारी विरोध के महज दो घंटे के भीतर ही प्रधानाचार्य की पत्नी का बयान आया कि पारिवारिक कारणों के चलते महापंचायत स्थगित कर दी गई है। महापंचायत का स्थगित होना प्रशासनिक तनाव को कम करने वाला साबित हुआ है और कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि शिक्षक समाज की एकजुटता ने किसी भी बड़े राजनीतिक या जातिगत टकराव को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फिलहाल, सभी की निगाहें अब नई न्यायिक तारीख पर टिकी हैं।

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