Sitapur : प्रशासन की से मदद से हो रहा अवैध कटान

Sitapur : हरियाली को बचाने वाले और मिटाने वाले जब एक ही हो तो हरियाली की हिफाजत की बात भी हास्यास्पद ही लगती है। कुछ यही नजारा आजकल जनपद की लहरपुर वन रेंज का नजर आ रहा है। जहां एक तरफ अवैध लकड़ी कटान से लाखों के बारे न्यारे भी किये जा रहे हैं वहीं उच्च अधिकारियों को गुमराह करने के लिए देर रात गश्त और रेकी के दावे भी किया जा रहे हैं। यही नहीं क्षेत्र में विगत पूर्व समय में इक्का दुक्का की जा रही कार्रवाइयों के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर वाह-वाही भी लूटी जा रही है।

प्रतिबंधित प्रजाति की लकड़ी पर 40 प्रतिशत तक होती अवैध वसूली

बताते चलें कि आरा मशीन, प्लाईवुड और विनियर फैक्ट्री का गढ़ कहा जाने वाला लहरपुर तहसील क्षेत्र दशकों से लकड़ी व्यापार का केंद्र रहा है यहां आने वाले वनकर्मी और पुलिस कर्मी स्थानीय स्तर पर लकड़ी का अवैध व्यापार करने वाले व्यापारियों, दलालों से सांठ-गांठ कर हर महीने लाखों के बारे न्यारे करते रहे हैं। सूत्रों की माने तो वर्तमान में अकेले पुलिस विभाग ही छूट प्रजाति की लकड़ी के नाम पर 20 प्रतिशत और प्रतिबंधित प्रजाति की लकड़ी पर 40प्रतिशत तक अवैध वसूली करता है। यही नहीं स्थानीय वन विभाग ने इस वसूली के लिए बाकायदा एक सिस्टम बना रखा है जिसमें मुख्य रूप से मिश्रा नाम का एक रिटायर्ड वनकर्मी एवं अयूब और श्याम बहार नाम के दो स्थानीय प्राइवेट व्यक्तियों के साथ-साथ इस पूरे गठजोड़ में कुछ तथाकथित पत्रकार भी शामिल बताए जाते हैं।

आरामशीन, प्लाईवुड फैक्ट्री और विनियर मशीनों की बढ़ रही तादाद

अरूण सिंह बताते हैं कि जहां पहले लहरपुर कस्बे में आसपास के क्षेत्रों से कटकर आने वाली लकड़ी के लिए महज एक प्लाट हुआ करता था वहीं अब लगातार बढ़ते लकड़ी कटान ने न केवल कटकर आने वाली लकड़ी के डंप और बोली के लिए प्लाटों की संख्या बढ़ा दी है वहीं दूसरी तरफ आरामशीन, प्लाईवुड फैक्ट्री और विनियर मशीनों के मामले में भी तादाद लगातार बढ़ रही है। मानक विहीन स्थापित इन इकाइयों के मामले में भी बड़ा गोलमाल बताया जा रहा है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की आवश्यकता है।

एक लाइसेंस पर चल रहीं दो मशीने

सूत्रों की माने तो एक लाइसेंस पर दो मशीन चलाना और विभाग द्वारा निश्चित किए गए मानकों का उल्लंघन इन इकाइयों के लिए आम बात है लेकिन हर साल वन विभाग के द्वारा एक मोटी रकम के बदले मानकों को ताक पर रखकर इनका रिनीवल कर दिया जाता है। दिलचस्प पहलू यह है कि बीते दिनों जनपद की महोली तहसील में समाधान दिवस के अवसर पर नवागत पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल ने लहरपुर के लकड़ी माफियाओं पर कार्रवाई की बात कह कर इस विभाग की नींदें उड़ा दी थी इसके बाद से यह विभाग हर दिन क्षेत्र की एक दो कार्रवाइयों से उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर खुद को पाक साफ साबित करने में जुटा हुआ है।

टूटेगी माफियाओं की कमर या गुमराह करते रहेंगे पुलिसकर्मी

देखना यह है कि पुलिस थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार की कमर तोड़ने के लिए पूरे जनपद के चिन्हित आरक्षियों को पुलिस लाइन भेजने की कार्रवाई करके चर्चा मे आने वाले नवागत पुलिस अधीक्षक लहरपुर तहसील क्षेत्र के लकड़ी माफियाओं की कमर तोड़ने में कामयाब हो पाते हैं या फिर स्थानीय वनकर्मी और पुलिसकर्मी उन्हें गुमराह करने के अपने मिशन में सफल हो पाते हैं। क्योंकि प्रतिदिन कई करोड़ के इस अवैध कारोबार में जहां लाखों रुपए जीएसटी की चोरी होती है वहीं प्रतिदिन लाखों रुपए की बंदर बांट वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग में होता चला आ रहा है वही रात के अंधेरे के समय कई लकड़ी चोर ऐसे भी हैं जो सरकारी व आम जनमानस की लड़कियों की चोरी करते विगत काफी समय से चले आ रहे हैं और उनके विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ शून्य नजर आता है वही लकड़ी चोर पुलिस विभाग व वन विभाग के गलबहिया डाले हुए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के इस गंभीरता पूर्वक दिए गए निर्देश की खिल्ली उड़ाते हुएं नजर आते हैं इसके साथ ही वन विभाग द्वारा की जा रही फर्जी छापा मार कार्यवाहियों के समय में भी वह उन्हीं के साथ मुस्तैद नजर आते हैं।

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