
Sitapur : शहर में लोक निर्माण विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए लगाए गए लाल निशानों ने सोमवार को बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक तूफान खड़ा कर दिया। इन निशानों को पूरी तरह गलत और मनमाना बताते हुए सैकड़ों की संख्या में आक्रोशित शहरवासी भाजपा नेता व व्यापारी सागर गुप्ता के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
डीएम को ही नहीं थी ‘गलत निशानों’ की जानकारी
लालबाग चौराहे से काशीराम कॉलोनी और हरदोई चुंगी से नवीन चौक तक दोनों तरफ अतिक्रमण हटाने के लिए निशान लगाए गए हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि ये निशान पुराने कब्जों को नजरअंदाज करते हुए केवल कुछ लोगों को निशाना बना रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब प्रदर्शनकारी अपनी शिकायत लेकर जिलाधिकारी के पास पहुंचे, तो ज्ञात हुआ कि डीएम की जानकारी में ही नहीं था कि लोक निर्माण विभाग ने इस तरह के ‘गलत’ निशान लगाए हैं।
भाजपा नेता और डीएम के बीच चली लंबी वार्ता
भाजपा नेता सागर गुप्ता के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचे शहरवासियों ने अपनी बात मजबूती से रखी। करीब एक घंटे तक यह वार्ता चली, जिसमें नागरिकों ने स्पष्ट किया कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन गलत ढंग से की जा रही कार्रवाई को स्वीकार नहीं करते।
मंत्री के आश्वासन के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे शहरवासी
मालूम हो कि इस मामले को लेकर शहरवासी रविवार को ही नगर विकास मंत्री राकेश राठौर ‘गुरु’ से मिले थे, जिन्होंने उन्हें किसी का नुकसान न होने देने का पूर्ण आश्वासन दिया था। मंत्री के आश्वासन के बाद आज लोग सीधे डीएम से निर्णायक फैसला लेने पहुंचे।
डीएम ने दिया निर्णायक आश्वासन
लोगों के भारी दबाव और विरोध को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल हस्तक्षेप किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का अकारण नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। नियमानुसार पूरी तरह जांच और पैमाइश के बाद ही अतिक्रमण हटाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने आज शाम ही लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई है, जिसमें इन निशानों की वैधता और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी ली जाएगी।
डीएम ने प्रदर्शनकारियों को दो दिन बाद पुनः आने को कहा है, जब अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कोई अंतिम और पारदर्शी निर्णय लिया जा सकेगा। अब सभी की निगाहें डीएम और लोक निर्माण विभाग की बैठक पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन जनता के गुस्से के सामने झुककर अपने निशानों में बदलाव करता है या फिर नियमानुसार कार्रवाई आगे बढ़ाता है।










