
तंबौर, सीतापुर : घाघरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि से तंबौर कस्बा बाढ़ की चपेट में आ गया है। कस्बे के अहमदाबाद पश्चिमी, अहमदाबाद पूर्वी और ककरहा क्षेत्र समेत बैठूपुरवा के दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी भर गया है। कई परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए हैं। स्थिति यह है कि तंबौर से छतांगुर और तंबौर से बिसवां खुर्द जाने वाले मुख्य मार्गों पर पानी भर जाने से आवाजाही पूरी तरह बाधित हो गई है।
बैठूपुरवा की गलियों और घरों में घुटनों तक पानी जमा है, जिससे भोजन बनाने तक में दिक्कतें हो रही हैं। वहीं, जलभराव के बीच सांप-बिच्छू और जहरीले जीव-जंतुओं के खतरे ने ग्रामीणों की चिंता और बढ़ा दी है। गंदे पानी के ठहराव से संक्रमण और महामारी फैलने की आशंका भी बन गई है।
मानक से ज्यादा ऊँची सड़कों ने बढ़ाई समस्या
ग्रामीणों का आरोप है कि नगर पंचायत प्रशासन ने मानकों को दरकिनार कर कई सड़कों को जरूरत से ज्यादा ऊँचाई पर बना दिया है। अहमदाबाद पश्चिमी में बैठूपुरवा जाने वाली सड़क और अस्पताल के पीछे बनी सड़क इसकी प्रमुख मिसाल हैं। इन ऊँची सड़कों की वजह से बाढ़ का पानी कहीं निकल नहीं पा रहा है और आवासीय इलाकों में भर रहा है।
इसके अलावा, बस स्टॉप से सरकारी अस्पताल के बगल से जाने वाला मुख्य नाला पूरी तरह जाम है, जिससे जलनिकासी पूरी तरह बाधित हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की भ्रष्टाचारपूर्ण नीतियों के कारण विकास की जगह विनाश की स्थिति पैदा हो गई है।
बाढ़ से उद्योग-धंधे पर ताला
तंबौर नगर क्षेत्र में बाढ़ का असर स्थानीय उद्योगों पर भी पड़ा है। करीब एक दर्जन प्लाईवुड, पीलिंग और आरा मशीन उद्योग पूरी तरह ठप हो गए हैं। लकड़ी का कारोबार बंद होने से न केवल उद्योग संचालकों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि कस्बे और आसपास के गांवों से रोजी-रोटी कमाने आने वाले हजारों मजदूरों की रोज़गार पर भी संकट गहरा गया है।
विकास खंड बेहटा के 30 से अधिक गाँव जलमग्न
बाढ़ का दायरा तंबौर कस्बे तक सीमित नहीं है। विकास खंड बेहटा क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव शारदा नदी से आई बाढ़ की चपेट में हैं। प्रभावित गांवों में छतांगुर, पूरनसरांय, मुंगलापुर, देवपालपुर, कोल्हूपुरवा, बमभैला, बसंतापुर, मंझरी करिन्दा, बेलवा डिंगरा, पर्वतपुर, गौहनिया, भदफर, टिकौना, चंदवा, तेजवापुर, खनियापुर, अमरनगर, रतौलीडीह, उमरिया, धुलनापुर और सोंसरी रतौली प्रमुख हैं।
ग्राम मंझरी पासिन में 40 से अधिक परिवारों के मकान बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। धान और गन्ने की खड़ी फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं, जिससे लाखों रुपये का नुकसान अनुमानित है। पशुपालकों के सामने हरे चारे का संकट भी खड़ा हो गया है।
प्रशासन की राहत पहल
तहसीलदार मनीष कुमार त्रिपाठी ने बताया कि तंबौर, मीतमऊ नकहा, खैरी पट्टी, डंडपुरवा, शाहपुर, मतुआ, अमर नगर और लालपुर समेत नौ बाढ़ राहत चौकियाँ बनाई गई हैं। प्रभावित परिवारों को राहत किट वितरित की जा रही हैं। उन्होंने दावा किया कि जलस्तर में अब धीरे-धीरे गिरावट आ रही है और लगातार निरीक्षण कर प्रभावित गांवों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
कटान रोको संघर्ष मोर्चा की बैठक
इस बीच, तंबौर देहात के इच्छा गांव में कटान रोको संघर्ष मोर्चा की बैठक आयोजित हुई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शारदा नदी के किनारे बना तटबंध कट चुका है और अब घरों के कटने का खतरा मंडरा रहा है। बैठक में देशराज, विनोद पाल, कमल किशोर, दिनेश राजपूत और लवकुश सहित तमाम लोगों ने हिस्सा लिया। ग्रामीणों ने तय किया कि जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर मुआवजा और फसल हानि की समस्या से अवगत कराया जाएगा।
सिंचाई विभाग का स्थलीय निरीक्षण
अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, विशाल पोरवाल, ने शनिवार को ग्राम लखनीपुर और डबकहा रतनगंज का दौरा किया। उन्होंने चल रहे फ्लड फाइटिंग कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया और कर्मचारियों को समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण ढंग से काम पूरा करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों से संवाद कर उन्हें जलस्तर और सुरक्षा उपायों की जानकारी भी दी गई।
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