
- 10 दिनों से भीग रहा किसानों का धान
Sitapur : जनपद की मंडी समिति में पिछले 10 दिनों से अपनी खून-पसीने की कमाई, धान की ट्रालियों के साथ खड़े किसानों का धैर्य अब जवाब दे चुका है! तौल न होने से भड़के किसानों ने आज जिला प्रशासन को ऐसा अल्टीमेटम दिया, जिसने मंडी परिसर से लेकर कलेक्ट्रेट तक हड़कंप मचा दिया है। किसानों ने सीधे तौर पर ऐलान कर दिया है कि अगर उनकी धान तौल की समस्या का तत्काल समाधान नहीं हुआ, तो वे अपनी ट्रॉलियों में आग लगा देंगे और जरूरत पड़ी तो खुद भी आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।
बारिश में भीगा अन्नदाता का धान, प्रशासन बेखबर
किसान पिछले 10 दिनों से अपनी उपज लेकर सरकारी खरीद केंद्र के बाहर खड़े हैं, लेकिन “सिस्टम” की धीमी चाल से तौल शुरू नहीं हो पाई है। ऊपर से लगातार हो रही बारिश ने उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। कई किसानों का कीमती धान भीगकर बर्बाद हो चुका है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस संकट को देखते हुए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
DM को संदेश, अधिकारियों की ‘दौड़’ बेअसर
आज, किसानों के बुलावे पर भारतीय सिख संगठन के जिला अध्यक्ष गुरपाल सिंह मौके पर पहुंचे। मंडी परिसर में धान भीगने और किसानों की दुर्दशा देखकर गुरपाल सिंह का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने तत्काल जिलाधिकारी सीतापुर को इस गंभीर स्थिति का कड़ा संदेश भेजा। संदेश मिलते ही प्रशासन में खलबली मच गई। आनन-फानन में उपजिलाधिकारी सदर, डिप्टी आरएमओ सहित अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।
मगर, किसानों का आरोप है कि घंटों तक अधिकारी मंडी में मौजूद रहे, केवल खानापूर्ति करते रहे, लेकिन समस्या का कोई ठोस समाधान या आश्वासन नहीं दे सके।
आत्मदाह की चेतावनी से गरमाया माहौल
जब प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भी कोई रास्ता नहीं निकला, तो भारतीय सिख संगठन के जिलाध्यक्ष गुरपाल सिंह ने दहाड़ते हुए अंतिम चेतावनी दे डाली। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा:
”अगर प्रशासन ने किसानों की धान तौल की समस्या का समाधान जल्द नहीं किया, तो हम अपने ट्रालियों में आग लगा देंगे, और यदि जरूरत पड़ी तो हम खुद भी आत्मदाह करने को मजबूर होंगे!”
गुरपाल सिंह के इस गंभीर बयान के बाद मंडी परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है। किसान तौल शुरू होने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि प्रशासन इस गंभीर धमकी के बाद सकते में है।
किसान नेताओं ने सीधे सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि अन्नदाता को इस मुश्किल घड़ी में प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार न होना पड़े। देखना यह होगा कि क्या यह आत्मदाह की चेतावनी प्रशासनिक अमले को जगा पाती है या नहीं।










