
Sitapur : उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में वन्यजीवों की सक्रियता ने दहशत का माहौल बना रखा है। रविवार की रात वन विभाग को एक बड़ी राहत मिली जब गोंदलामऊ क्षेत्र में एक माह से आतंक मचा रहा तेंदुआ आखिरकार पिंजरे में कैद हो गया, मगर उनकी यह जीत ज्यादा देर नहीं टिकी। कुछ ही घंटों बाद, महोली के नारानी गांव में आदमखोर बाघ ने विभाग के जाल को चकमा देते हुए, पकड़ने के लिए बांधे गए पड़वे का शिकार कर लिया और एक नई, बड़ी चुनौती खड़ी कर दी।
महोली का ‘मास्टरमाइंड’ बाघ, वन विभाग की रणनीति फेल
महोली के नरनी गांव में जहां कुछ दिन पहले ही आदमखोर बाघिन को पकड़ा गया था, अब उसका साथी बाघ अपने शावकों के साथ फिर लौट आया है, जिसने पहले सौरभ नामक युवक का शिकार किया था। बाघिन के पकड़े जाने के बाद, यह बाघ और उसके शावक पसिगवां-सीतारामपुर जंगल से कठिना नदी पार कर रुस्तमनगर-अमिलिया घाट जंगल की ओर चले गए थे।
लेकिन रविवार को बाघ ने सबको चौंका दिया। वह नरनी गांव की ओर लौटा और वन विभाग द्वारा मचान के पास लगाए गए पिंजरों को नजरअंदाज करते हुए, उनके पास ही बांधे गए एक पड़वे को अपना शिकार बना लिया।
विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए 20 मीटर की दूरी पर दो पिंजरे लगाए थे, जिनमें शिकार का चारा (मटन) भी रखा था, लेकिन चालाक बाघ पिंजरों के नजदीक भी नहीं गया और खुली जगह में शिकार कर चला गया।
डीएफओ नवीन खंडेलवाल ने पुष्टि की है कि बाघ की यह गतिविधि साफ संकेत है कि वह अभी भी क्षेत्र में सक्रिय है। विभाग अब इसे पकड़ने के लिए पिंजरे के बजाय, तुरंत ट्रैंकुलाइज (बेहोश) करने की तैयारी में जुट गया है, जो एक जोखिम भरा और अंतिम विकल्प माना जाता है।
गोंदलामऊ के ग्रामीणों को राहत, एक माह का आतंक खत्म
दूसरी ओर, गोंदलामऊ क्षेत्र के बैशौली गांव के लोगों को एक माह बाद सुकून मिला है। यहां एक तेंदुआ बैशौली गांव की गौशाला के आसपास आतंक मचा रहा था और एक महीने में कई गौवंशों, जिनमें 1 और 3 सितंबर को दो बछड़े शामिल थे, को अपना शिकार बना चुका था।
14 सितंबर को सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए की मौजूदगी दर्ज होने के बाद वन विभाग ने गौशाला के समीप पिंजरा लगाया था। वन दरोगा ऋषभ सिंह तोमर ने बताया कि पिंजरे में प्रतिदिन शाम को एक बकरी बांधी जाती थी, जिसके लालच में 28 सितंबर की रात करीब 10 बजे तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया।
तेंदुए को पकड़ने के बाद अब उसे सुरक्षित रूप से लखनऊ स्थित चिड़ियाघर ले जाया जा रहा है।
सीतापुर का वन विभाग इस समय एक बड़ी सफलता (तेंदुआ) और एक बड़ी चुनौती (बाघ) के बीच फंसा हुआ है। महोली के आदमखोर बाघ को जल्द पकड़ना ही विभाग की सबसे बड़ी प्राथमिकता है, ताकि क्षेत्र के 40 से अधिक गांवों में फैली दहशत खत्म हो सके।