संदना इंडियन बैंक का मामला
सीतापुर। संदना सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जीवन ज्योति बीमा को सरकार के ही कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं। एक तरफ बैंक मनमाने तरीके पैसे खाता धारकों के खाते से पैसे काट देते है दूसरी तरफ मृतक आश्रित को मुआवजा के लिए बैंक के सालों साल चक्कर काटने पड़ते है ऐसे कई मामले है जिनमे बैंक की लापरवाही परिजनों पर भारी पड़ रही है। मृतक आश्रित महिलाएं बच्चो को गोद मे लेकर बैंक के चक्कर काटती रहती है। मामले की शिकायत पीडि़त ने जोनल ऑफिस में की। उच्चाधिकारियों की फटकार के बाद बैंक मैनेजर ने दोबारा फार्म भरकर भेजने की कार्यवाही की।
जीवन ज्योति बीमा योजना में बैंक के चक्कर काट रही महिलाएं, वर्षो बाद भी नही मिला मुआवजा
मृतक आश्रितों को लाभ पहुंचने की नियत से सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्वाकांक्षी योजना जीवन ज्योति योजना को बैंक कर्मचारी ही पलीता लगाने में जुटे हुए है। ऐसा ही मामला सन्दना स्थित इंडियन बैंक शाखा से जुड़ा हुआ है जिसमे छः माह पूर्व सैदापुर निवासी गोविंद की मौत हो गयी थी। जिनका 3039909 पॉलिसी के तहत दो लाख का बीमा था। मृतक की पत्नी किरन बताती है कि उनके दो बच्चे है जिनका पालन पोषण करना है। खेती नाम मात्र की है पति की मौत के बाद मुआवजा की राशि ही एक मात्र सहारा है जिसके मिलने से वह अपने बच्चो का पालन पोषण कर पायेगी लेकिन बैंक मैनेजर मंशाराम के मनमाने रवैये के चलते छः माह से चक्कर लगाकर थक चुकी है।
अब तक मुआवजा नही मिला है और बैंक कर्मचारी भी ठीक तरीके से बात नही करते। मामले की शिकायत बीते मंगलवार को जोनल ऑफिस में पीडि़त किरन ने की थी। जिसके बाद आनन-फानन में बैंक मैनेजर इंडियन बैंक शाखा सन्दना मंशाराम ने पीडि़त को बुलाकर दोबारा फार्म भरकर भेजने की कार्यवाही की लेकिन मुवाबजे का पता नही कब तक मिले। नियमावली की माने तो जीवन ज्योति बीमा योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है जिससे गरीब मृतक आश्रितों को लाभ दिलाने का लक्ष्य है। बैंक 436 रुपये वार्षिक स्वतः काट लेती है। जिसमे दुर्घटना बीमा दो लाख का होता है। दुर्घटना के बाद तीन माह के भीतर ही लाभार्थी को दो लाख रुपये मुवावजा देने का प्रावधान है।