सीतापुर । सकरन मतुआ मार्ग पर स्थित चकलेश्वर महादेव मन्दिर हजारो श्रद्धालुओं की आस्था व विश्वास का केन्द्र है। पूरे सावन माह मन्दिर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता रहता है। लोग मन्दिर में आकर चकलेश्वर महादेव की पूजा कर मन्नते मांगते है। भक्तो का कहना है कि मन्दिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से लोगो की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तहसील लहरपुर के सकरन थाना क्षेत्र के मतुआ सकरन मार्ग पर बना चकलेश्वर महादेव मंदिर चकलेबाबा के नाम से मशहूर है। सावन माह के प्रत्येक सोमवार व रक्षाबंधन के दिन यहाँ पर विशाल मेला लगता है। क्षेत्र के सिरकिडा गाँव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. सत्यनारायण मिश्रा इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास बताया करते थे।
जंगल में खुदाई के दौरान निकला था चक्र के आकार का शिवलिंग
ग्रामीणों का कहना है कि सौ वर्ष पूर्व इस जगह विशाल जंगल हुआ करता था, पड़ोसी गाँव के लोग जंगल में मृत्यु हो जाने के बाद शवो को जलाया करते थे लोग जंगल मे भूत प्रेत केडर के कारण दिन में नहीं जाते थे एक दिन पड़ोसी गांव के लखनापुर की लोधी परिवार की एक महिला इस विशाल जंगल में लकड़ी तोड़ने आयी थी, लकड़ी बीनते बीनते उसे ठोकर लग गयीं, उसी जगह पर देखा कि वहाँ पर एक पत्थर गड़ा था उसके बाद वह महिला अपने घर चली गई। रात में उस महिला को स्वपन आया शिव भगवान ने दर्शन देते हुये कहा कि जंगल में गड़े उसी पत्थर को बाहर निकलवा कर उस पत्थर की स्थापना करवाकर उस पर मंदिर निर्माण करवा दो सिरिकिडा निवासी पंडित जगदम्बा प्रसाद मिश्र को पत्थर की जानकारी दी
सावन माह के सोमवार व रक्षाबंधन पर लगता है विशाल मेला
पंडित जी ने कुछ लोगों को बताया और सब लोगों को लेकर जंगल जाकर महिला की बात पर उसी पत्थर को बाहर निकलवाया देखा कि पत्थर पर काला आकर शिवलिंग बना हुआ था पंडित और महिला गाँव के सभी लोगो ने मिलकर भगवान शिव की स्थापना करवाया और मंदिर निर्माण किया गया पंडित जी ने मंदिर का नाम श्री चकलेश्वर महादेव कर दिया, जो अब चकलेश्वर बाबा के नाम दूर दूर तक प्रसिद्ध हैं।